विश्व स्तनपान सप्ताह पर कार्यशाला का आयोजन

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा जानकारी दी गयी कि कलेक्टर प्रवीण सिंह के निर्देशन में चलाये जा रहे स्तनपान सप्ताह 01 से 07 अगस्त को शुभारंभ जिला चिकित्सालय सिवनी के मेटरनिटी वार्ड में गुरुवार 01 अगस्त को किया गया।

शुभारंभ अवसर पर कार्यशाला आयोजित कर प्रसव पश्चात धात्री माताओं, गर्भवती माताओं तथा उनके परिजनों को स्तनपान के बारे में विषय विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत जानकारी दी गयी।

स्त्रो रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश्वरी कुशराम ने संबोधित करते हुए कहा कि नवजात शिशु को जन्म के बाद जितनी जल्दी हो सकें अधिकतम एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना चाहिये। प्रसव पश्चात पहला गाढा पीला दूध जिसे कालस्ट्रम कहते है द्य उसे नवजात शिशु को पिलाना अति आवश्यक है, क्योंकि इसमें कई महत्वपूर्ण तत्व होते है, जिनसे नवजात शिशु का अनेको बीमारियों से बचाव होता है तथा यह नवजात का पहला टीकाकरण भी कहलाता है।

मॉ के दूध में पर्याप्त मात्रा में पानी, शक्कर, फेट, विटामिन्स तथा मिनरल्स आदि होते है। जिसके कारण नवजात को अन्य किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ जैसे शर्बत, शहद, घुटी आदि नहीं दिया जाना चाहिये। इससे बच्चें को निमोनिया दस्त जैसे संक्रमण होने की संभावना रहती है। तथा लीवर पर अधिक दबाव पडने पर वह भी सही काम नहीं कर पाता, जिससे बच्चा कुपोषित कमजोर होने लगता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बच्चें को पहले एक स्तन से पूरा स्तनपान कराना चाहिये उसके बाद दूसरे से। जिससे नवजात को सम्पूर्ण पोषण मिलने से सही विकास होगा।

डॉ. मेश्राम ने अपने उद़बोधन में कहा कि नवजात शिशु को छः माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिये तथा छः माह पश्चात शिशु को मॉ के दूध के अलावा घर में तैयार किया हुआ भोजन जैसे खिचडी, दाल: चावल, केला, दलिया आदि गाढा पेस्ट बनाकर बच्चे को खिलाना चाहिये तथा समय समय पर निर्धारित टीकाकरण सारणी अनुसार बच्चों को बीमारियों से बचाव के टीके लगवाने चाहिये।

प्रभारी डी.पी.एच.एन.ओ. मेरी जोसफ ने शिशु को सही स्तनपान कराने की विधि के बारे में बताते हुए कहा कि नवजात शिशु को स्तनपान कराते समय उसे सीधा, शरीर से सटा हुआ सहारा देते, हुए शांत अवस्था में स्तनपान कराना चाहिये।