(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा को महारास रचाया था। इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन स्वास्थ्य, अपार प्रेम और खूब सारा धन पाया जा सकता है। इसी मान्यता के चलते लोग इस पर्व को विशेष रूप से मनाते हैं।
शरद ऋतु की पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है, शरद पूर्णिमा और चन्द्रमा इस दिन संपूर्ण, सोलह कलाओं से युक्त होता है। इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और स्वास्थ्य तीनों देती है। प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्रीकृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था।
इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन स्वास्थ्य, अपार प्रेम और खूब सारा धन पाया जा सकता है पर प्रयोगों के लिये कुछ सावधानियों और नियमों के पालन की आवश्यकता है। अध्ययन के अनुसार दूध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में ऊर्जा का शोषण करता है।
चावल में स्टार्च होने के कारण यह अवशोषण की प्रक्रिया और आसान हो जाती है। इसी कारण ऋषि मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है। यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है। शोध के अनुसार खीर को चाँदी के पात्र में बनाना चाहिये। चाँदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है जिससे विषाणु दूर रहते हैं।
दिगंबर जैन समाज में आचार्य 108 विद्या सागर महाराज एवं गणनिका आर्यिका 105 ज्ञानमती माताजी का जन्म भी आज के दिन होने के कारण पूरे भारत में धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन किये जाते हैं।

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