पितृ दिवस विशेष: छह पीढ़ियों से पिता की विरासत संभाल रहा मालू परिवार, सातवीं पीढ़ी भी बढ़ा रही हाथ

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। देश-दुनिया में 15 जून को मनाए जा रहे फादर्स डे के अवसर पर, सिवनी के मालू परिवार की remarkable यात्रा पर प्रकाश डाला जा रहा है, जो लगभग 200 वर्षों से अपनी व्यापारिक विरासत को सहेजते और आगे बढ़ाते आ रहे हैं। राजस्थान के बीकानेर के जरूपदेशर से सिवनी में अपने कदम रखने वाले इस परिवार ने, अपनी मेहनत और ईमानदारी के दम पर जिले भर में एक अलग पहचान बनाई है।

सफलता का सफ़र : स्वर्ण से शिक्षा और चिकित्सा तक

मालू परिवार ने स्वर्ण व्यवसाय से अपनी यात्रा शुरू की और धीरे-धीरे शिक्षा, चिकित्सा, कंस्ट्रक्शन, व्यापार, उद्योग और मनोरंजन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाई। वर्तमान में, परिवार की छठवीं पीढ़ी सक्रिय रूप से विभिन्न व्यवसायों का प्रबंधन कर रही है, और अब सातवीं युवा पीढ़ी भी अपने-अपने पिता के व्यवसाय को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

मालू परिवार की छठवीं पीढ़ी के pioneering कदम

मालू परिवार की छठवीं पीढ़ी के प्रमुख सदस्य, चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजय मालू (61) और उनके भाई सुनील मालू (57) ने सिवनी में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं।

द रॉयल इकोलस्कूल: उन्होंने सिवनी का पहला डे-बोर्डिंग कम रेजिडेंशियल स्कूल द रॉयल इकोलस्थापित करके शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा।

कंस्ट्रक्शन और वेयरहाउसिंग: दादागुरु कंस्ट्रक्शन के नाम से वे कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में सक्रिय हैं, और उनके व्यावसायिक हितों में वेयरहाउसिंग भी शामिल है।

सामाजिक कार्य

उनकी डॉ. यूसी मालू वेलफेयर सोसाइटी हर महीने आई कैंप का आयोजन कर समाज सेवा में भी योगदान देती है।

औद्योगिक विकास

उन्होंने बंडोल क्षेत्र में एम सैंड का जिले का पहला बड़ा स्टोन क्रशर प्लांट भी शुरू किया है, जो औद्योगिक विकास में उनका योगदान है।

डॉ. उत्तम चंद मालू : शिक्षा और चिकित्सा के अग्रदूत

संजय और सुनील मालू के पिता, डॉ. उत्तम चंद मालू, मालू परिवार के पहले उच्च शिक्षित व्यक्ति थे। उन्होंने नागपुर मेडिकल कॉलेज से बीबीएससी एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से बीएससी भी की थी। एक प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिशनर के रूप में उन्हें जिले में खासी पहचान मिली थी। उनका विवाह राजस्थान सरकार के पूर्व फाइनेंस एंड इंडस्ट्रीज मिनिस्टर कोटा निवासी रिखाबचंद धारीवाल की पुत्री कमला रानी से हुआ था।

सातवीं पीढ़ी का उदय: व्यापार को नई दिशा

चिकित्सक पिता डॉ. उत्तम चंद मालू के दोनों पुत्र संजय और सुनील कई व्यवसायों में लगे हुए हैं। अब उनके पुत्रों ने भी पिता के व्यापार को संभालना शुरू कर दिया है:

संजय मालू के पुत्र: सिद्धार्थ (एमबीए) और केतन (बीई सिविल)।

सुनील मालू के पुत्र: आदित्य (एमबीए) और सुदीप (एमबीए)।

संजय मालू पिछले 24 वर्षों से श्री जैन श्वेतांबर श्रीसंघ के सचिव का पद भी संभाल रहे हैं और वे वैश्य महासम्मेलन के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

पीढ़ी दर पीढ़ी व्यापार का विकास

संजय मालू के अनुसार, उनके परदादा मानकचंद मालू के दादा त्रिलोक चंद मालू ने लगभग 200 साल पहले सिवनी आकर सोने-चांदी का व्यवसाय शुरू किया था। उनके बाद उनके पुत्र गणेशदास मालू, फिर उनके पुत्र मानक चंद मालू ने इस कारोबार को आगे बढ़ाया। मानकचंद मालू के कारोबार को उनके बेटे ईश्वरचंद मालू ने और गति दी। ईश्वरचंद मालू के 4 पुत्र और 2 पुत्रियों में से द्वितीय पुत्र डॉ. उत्तमचंद मालू ने चिकित्सा को अपना पेशा बनाया।

मालू परिवार का दो सौ साल पुराना सोने-चांदी का व्यापार वर्तमान में भी जारी है, जिसे विजय चंद मालू, श्रीमती ममता मालू और रमेश चंद रोशन मालू संभाल रहे हैं। इस परिवार की एक मैदा मिल भी है, और उन्होंने शहर में महावीर टॉकीज भी खोली थी, जो मनोरंजन के क्षेत्र में उनके योगदान को दर्शाता है।

मालू परिवार की यह कहानी धैर्य, दूरदर्शिता और अटूट समर्पण की एक प्रेरणादायक गाथा है, जो फादर्स डे के अवसर पर पिता और उनकी विरासत के महत्व को underscores करती है।

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