जन्माष्टमी पर घर में अवश्य रखें इन चीजों को

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम स्वरूप माना गया है। ग्रंथों में भी कहा गया है कि कृष्ण का व्यक्तित्व बहुत ही सम्मोहक है। पीलापीतांबर धारण करने वाले श्रीकृष्ण के मुकुट पर मोर पंख हमेशा रहता था।

भगवान कृष्ण को 06 चीजों से बहुत अधिक लगाव था। पहली बाँसुरी जो हमेशा उनके होंठों के ही लगभग रहती थी। दूसरी गाय। तीसरी माखन मिश्री, चौथी चीज मोर पंख और पाँचवी वस्तु कमल और छठी वस्तु वैजयंती माला। माना गया है कि जो भी भक्त भगवान श्रीकृष्ण को उनकी पसंद की इन वस्तुओं को समर्पित करता है, उसके घर में हमेशा सुख – समृद्धि और ऐश्वर्य का वास होता है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार किशन कन्हैया की वह प्रिय वस्तुएं जो उनसे कभी अलग नहीं होती। आज भी ध्यान रखें और कान्हा की मूर्ति के साथ घर में उनकी प्रिय वस्तुओं को जरूर रखें आपकी किस्मत बदल सकती है . . .।

बाँसुरी-मुरली : कान्हा को बचपन से ही बाँसुरी बेहद प्रिय है। उन्हें यह क्यों पसंद है, इसके तीन प्रमुख कारण बताये जाते हैं। पहला बाँसुरी एकदम सीधी होती है। उसमें किसी तरह की गाँठ नहीं होती है, जो यह संकेत देती है कि अपने अंदर किसी भी प्रकार की गाँठ नहीं रखना चाहिये। मन में बदले की भावना नहीं आने देना चाहिये। बगैर बजाये यह बजती भी नहीं। मानो बता रही है कि जब तक न कहा जाय तब तक नहीं बोलना चाहिये और तीसरा जब भी यह बजती है, तो मधुर ही बजती है। इसका अर्थ यह है कि जब भी बोलो, स्वच्छ और मीठा बोलो। इसलिये ऐसे गुणवाले व्यक्ति में हमेशा भगवान बसते हैं।

गौमाता-गाय : गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। यह सभी गुणों से भरपूर होती है। गाय का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी आदि पंचगव्य हैं। मान्यता है कि इनका सेवन करने से शरीर के भीतर पाप नहीं ठहरता। इसलिये घर के मंदिर में भगवान की मूर्ति के साथ गाय और बछड़ा भी रखना चाहिये।

मोरपंख : मोर का पंख बेहद खूबसूरत होता है। इसे सम्मोहन का प्रतीक भी माना गया है। मोर को चिर ब्रह्मचर्य युक्त प्राणी माना गया है। इसलिये भगवान ने भी मोर पंख धारण किया। मोर-मुकुट का गहरा रंग दुख और कठिनाईयों का माना गया है, जबकि हल्का रंग सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक बताया गया है।

कमल का फूल : कीचड़ कमल में खिलता है और उससे ही पोषित होता है। इसलिये कमल पवित्रता का प्रतीक माना गया है। इसकी सुंदरता और सुगंध सभी का मन मोह लेती है। साथ ही कमल यह संदेश देता है कि हमें कैसा जीवन जीना है। सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन किस प्रकार जिया जा सकता है इसका सरल तरीका भी कमल को देखकर लगाया जा सकता है।

मिश्री और माखन : भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री बेहद पसंद है। मिश्री का एक महत्वपूर्ण गुण यह है कि जब इसे माखन में मिला लिया जाता है तब उसकी मिठास माखन के कण-कण में घुल जाती है। उसके प्रत्येक हिस्से में मिश्री की मिठास समा जाती है। मिश्री युक्त माखन जीवन और व्यवहार में प्रेम को अपनाने का संदेश देता है। यह बताता है कि प्रेम में किसी प्रकार से घुल मिल जाना चाहिये।

वैजयंती माला : भगवान श्रीकृष्ण के गले में हमेशा वैजयंती माला होती, जो कमल के बीजों से ही बनी होती है। कमल के बीज सख्त होने के साथ-साथ कभी टूटते नहीं हैं, सड़ते नहीं, हमेशा चमकदार बने रहते हैं। इसका मतलब यह है कि जब तक जीवन रहे, तब तक हमेशा ऐसे ही प्रसन्नचित्त रहना चाहिये। दूसरा यह माला बीज है, जिसकी मंजिल भूमि होती है। भगवान कहते हैं जमीन से जुड़़े रहो। कितने भी बड़े क्यों न हो जाओ। हमेशा अपने अस्तित्व से दूर न हों।