तैयारी पूरी या अधूरी!: कितने हैं आक्सीजन सपोर्टेड बेड!

जिले में कितने हैं आक्सीजन सिलेंडर! कितना है बफर स्टाक!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जिले मेें कोरोना कोविड 19 की स्थिति सरकारी तौर पर तो नियंत्रण में दिख रही है पर सोशल मीडिया पर जिस तरह की बातें आ रहीं हैं, जिस तरह के प्रश्न प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से पूछे जा रहे हैं उन्हें देखते हुए सब कुछ सामान्य प्रतीत नहीं हो रहा है।
प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.सी.मेश्राम के हवाले से जारी होने वाली सरकारी विज्ञप्तियों पर अगर नजर डालें तो 25 मार्च से 05 अप्रैल तक कोरोना कोविड 19 के संक्रमित मरीजों के मिलने की संख्या बहुत ज्यादा नही है। 25 मार्च को 14, 26 मार्च को 19, 27 मार्च को 19, 28 मार्च को 18, 29 मार्च को होली के कारण संभवतः आंकड़े जारी नहीं हुए। इसके बाद 30 मार्च को महज 09, 31 मार्च को 12, 01 अप्रैल को 20, 02 अप्रैल को 25 एवं 03 अप्रैल को महज 09, 04 अप्रैल को 42 एवं 05 अप्रैल को 56 इस तरह पिछले 12 दिनों में महज 243 मरीज ही सिवनी में मिले हैं। इसके अलावा निधन की अगर बात करें तो सिवनी में लगभग एक साल में महज 10 लोग ही कोरोना कोविड 19 से काल कलवित हुए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि जिले में मार्च 2020 से अब तक कोरोना कोविड 19 को लेकर बैठकों के अनगिनत दौर हो चुके हैं। इसके अलावा लाखों रूपए भी पानी की तरह बहा दिया गया है। यहां तक कि कायाकल्प अभियान में मिले 55 लाख रूपए भी पूरी तरह फूंके जा चुके हैं, पर अस्पताल में व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ ज्यादा नजर नहीं आता है।
सूत्रों का कहना था कि किसी भी बैठक में इस बारे में शायद ही चर्चा की गई हो कि जिले में सरकारी और निजि अस्पतालों में आक्सीजन सपोर्टेड कितने बिस्तर हैं! और कितने आक्सीजन सिलेण्डर हैं! यहां तक कि आक्सीजन सिलेण्डर के बफर स्टाक पर भी शायद ही कभी चर्चा की गई हो।
सोशल मीडिया पर जिस तरह की टीका टिप्पणियों का दौर जारी है उससे स्थिति पैनिक ही होती दिख रही है। स्थिति के पैनिक होने की एक वजह यह भी नजर आ रही है कि प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा जिले में कोरोना कोविड 19 की वास्तविक स्थिति क्या है इस बारे में जानकारी विस्तार से नहीं दी जा रही है।
अगर 12 दिन में 243 मरीज ही मिले हैं और एक साल में महज 10 मौते हुईं हैं तो जिले में स्थिति भयावह नहीं मानी जा सकती है। अगर स्थिति भयावह नहीं है तो जिले के माननीय सांसदों, माननीय विधायकों की उपस्थिति में संपन्न हुई क्राईसिस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में जिले में पांच दिन का लॉक डाऊन संबंधी प्रस्ताव राज्य शासन को भेजने का ओचित्य समझ से परे ही है। इसके अलावा भाजपा के जिलाध्यक्ष आलोक दुबे, भाजपा के सिवनी के विधायक दिनेश राय एवं जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज कुमार खुराना के द्वारा टोटल लॉक डाऊन की वकालत किया जाना निश्चित तौर पर कहीं न कहीं इस बात की चुगली करता दिख रहा है कि प्रशासन के द्वारा या तो आंकड़ों को छिपाया जाकर गलत बयानी की जा रही है, या आला अधिकारियों की नजरों में अच्छा बने रहने के लिए वास्तविकता पर पर्दा डाला जा रहा है।
जनता में धीरे धीरे भ्रम, रोष और असंतोष बढ़ता जा रहा है, जो सोशल मीडिया पर साफ दिखाई दे रहा है। इसलिए जिलाधिकारी डॉ. राहुल हरिदास फटिंग को चाहिए कि वे प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के.सी. मेश्राम को निर्देशित करें कि एक दो दिन में ही कोरोना की हकीकत को लेकर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन करें ताकि जनता के समक्ष सच्चाई आ सके।