149 साल बाद गुरुपूर्णिमा पर बनेगा दुर्लभ संयोग

 

 

चंद्र ग्रहण के साथ बनेगा ग्रहों का दुर्लभ योग

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा के अवसर पर 16 जुलाई को चंद्र ग्रहण के साथ विभिन्न ग्रहों के कारण दुर्लभ योग बन रहा है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार आषाढ़ी पूर्णिमा पर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, वैघृति योग, विशिष्ठकरण योग रहेगा। इस बार चंद्र ग्रहण आषाढ़ पूर्णिमा की रात को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में धनु राशि में लग रहा है। इस ग्रहण के कारण कर्नाटक, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में से कोई एक सरकार गिर सकती है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण के साथ तीन नक्षत्रों के कारण दुर्लभ योग बन रहे हैं। ग्रहण के समय शनि और केतु चंद्रमा के चलते धनु राशि में रहेंगे। ग्रहण का प्रभाव धनु राशि के जातकों पर अधिक पड़ सकता है। वहीं सूर्य के साथ राहु और शुक्र मिथुन राशि में रहेंगे।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा चार विपरीत ग्रह शनि, शुक्र, राहु और केतु के बीच में रहेंगे, वहीं मंगल नीच का रहेगा। ऐसा योग 149 वर्ष पूर्व 12 जुलाई 1870 को बना था। उस समय भी गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण हुआ था। उस समय भी शनि, शुक्र, राहु और केतु धनु राशि में ही स्थित थे, जबकि सूर्य राहु के साथ मिथुन राशि में स्थित था।

यह रहेगा ग्रहण का प्रभाव : ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार चंद्र ग्रहण तनाव को बढ़ाने वाला हो सकता है। इस दौरान भूकंप के साथ अन्य प्राकृतिक आपदाएं आ सकती है। वहीं मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान की सरकार पर भी संकट के बादल मण्डरा सकते हैं। साथ ही संभव है कि इनमें से कोई सरकार गिर जाये। ग्रहण रात्रि 01 बजकर 32 मिनिट पर प्रारंभ होगा तथा ग्रहण की समाप्ति सुबह 04 बजकर 32 मिनिट पर होगी।