(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। प्रत्येक धर्म समाधान का कारक होता है, व्यवधान का नहीं। धर्म की मान्यताएं धारण करने के लिये होती हैं, किसी अवतारी या महापुरूष का जन्म स्थल परिवर्तनशील नहीं होता। उक्त बात टी.वी. के एक चैनल में प्रायोजित कार्यक्रम के दौरान निरंजन पीठ के महामण्डलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद गिरी जी महाराज के द्वारा कही गयी है।
उल्लेखनीय होगा कि इन दिनों रामजन्म भूमि मामले को लेकर सर्वाेच्च न्यायालय की विशेष खण्डपीठ के द्वारा लंबी सुनवायी की जाकर इस पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया गया है, जो शीघ्र ही घोषित किया जा सकता है। उक्त निर्णय आने के पूर्व ही संभावनाओं के आधार पर विभिन्न टी.वी. चैनलों द्वारा इस मामले को लेकर परिचर्चाओं का आयोजन किया जा रहा है। ऐसी ही एक परिचर्चा में पिछले दिनों आचार्य महामण्डलेश्वर प्रज्ञानंद गिरी जी महाराज को आमंत्रित किया गया था।
उक्त परिचर्चा के दौरान अपने वक्तव्य में आचार्य महामण्डलेश्वर ने कहा कि अवतारी पुरूषों व महापुरूषों के जन्म स्थल न तो परिवर्तनशील होते हैं और न ही वे राजनीति का विषय बनना चाहिये। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ है यह सर्वमान्य और सर्वविदित है। यह न तो विवाद का विषय है और न ही राजनीति का। अब जबकि यह विवाद का विषय बनकर न्यायालय तक पहुँच चुका है तो संवैधानिक धारणा और धार्मिक प्रमाणों के आधार पर ही उसका निर्णय होना चाहिये, क्योंकि हर धर्म की अपनी मान्यताएं होती हैं, जो प्रमाणिक और अकाट्य होती हैं। वैसे भी धर्म समाधानकारक होता है, वह व्यवधान का नहीं।
उन्होंने कहा कि अब जबकि न्यायालय द्वारा इस मामले का निर्णय सुरक्षित रख लिया गया है तो हमें विश्वास रखना चाहिये कि जो भी निर्णय आयेगा वह धर्मसंगत और न्यायसंगत ही होगा। उन्होंने कहा कि हम सब न केवल अपने धर्म का बल्कि अपने संविधान का समान रूप से सम्मान करते हैं। उक्त परिचर्चा में शामिल अन्य लोगों का भी लगभग यही मत था।

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