बदला मौसम : बढ़े सर्दी खांसी, वायरल के मरीज़

 

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। लगभग एक सप्ताह से मौसम का मिज़ाज जिस तरह से बदल रहा है उससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ रहा है। कड़ाके की सर्दी के उपरांत एकाएक गर्मी का अहसास होने के कारण एलर्जी, सर्दी खांसी और वायरल के मरीज़ों की तादाद में इजाफा दर्ज किया गया है। अस्पतालों में पहुँचने वाले अधिकांश मरीज़ मौसमी बीमारियों के शिकंजे वाले ही दिख रहे हैं।

जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ.पुरूषोत्तम सूर्या ने बताया कि गले में खराश, खांसी व बुखार के मरीज़ इस समय ज्यादा आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों में एलर्जी के कारण सर्दी, खांसी और वायरल के मरीज़ों की तादाद भी बढ़ी है। सड़कों में धूल बढ़ने की वजह से एलर्जी के केस बढ़े हैं। मौसम बदलने की वजह एलर्जी और अस्थमा के मरीज़ों की तकलीफ बढ़ गयी है।

चिकित्सकों ने सलाह दी है कि इस बदलते मौसम में रात में ठण्डी चीजें खाने से बचें। अस्थमा के मरीज़ धूल से बचाव करें व नियमित दवाएं लें। बच्चों को ठण्डी से बचायें, क्योंकि जरा सी गर्मी महसूस होने पर बच्चों के द्वारा रजाई, कंबल आदि निकालकर अलग कर दिया जाता है जिससे उन्हें सर्दी लग सकती है।

इसके अलावा इस मौसम में बासा खाना भी नहीं खाने की सलाह चिकित्सों ने देते हुए कहा कि गले में खराश होने पर गुनगने पानी में नमक डालकर गारगिल करें। सर्दी होने पर छींकते या खांसते समय मुँह में कपड़ा लगायें एवं एलर्जी की वजह से आँखें लाल हो रही हैं। इन्हें साफ पानी से दो-तीन बार धोयें।

चिकित्सकों का कहना है कि इन दिनों वायरल या एलर्जी के अलावा लोगों को साफ पानी पीना चाहिये। चिकित्सकों की मानें तो पानी ही नब्बे प्रतिशत बीमारियों की जड़ होती है। चिकित्सकों ने कहा कि शहर में प्रदाय होने वाला पेयजल बहुत ज्यादा साफ नहीं होने के कारण बीमारियों की आशंकाएं ज्यादा हो रही हैं।

फसलों को इस मौसम से फायदा : जिले में इन दिनों पड़ रही ठण्ड से फसलों को फायदा ही है। आने वाले दिनों में यदि बारिश होती है तो वह खेतों में खड़ी फसलों के लिये फायदेमंद साबित होगी बशर्ते बादल ज्यादा दिनों तक न छाये रहें। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इन दिनों जिले में गेहूँ, चना, मटर और दूसरी दलहनी फसलें लगी हुई हैं।

आने वाले दिनों में बारिश की संभावना पर उन्होंने कहा कि यह फसलों के लिये फायदेमंद होगी। यदि बादल एक दो दिन से ज्यादा छाये रहते हैं तो अवश्य फसलों के लिये नुकसान हो सकता है। ऐसे में दलहनी फसलों में इल्लियों के प्रकोप की आशंका हो सकती है। इन परिस्थितियों में किसान, कृषि अधिकारियों के संपर्क में रहें और उनके बताये हुए उपाय करें।