दो दिन रहेगी बसंत पंचमी, 30 को होगी सरस्वती पूजा

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। पंचमी तिथि बुधवार सुबह से गुरूवार सुबह तक रहने के कारण बसंतोत्सव के लिये इस बार दो दिन हो जा रहे हैं। 29 व 30 जनवरी को पड़ने वाली पंचमी में से सूर्याेदय तिथि को श्रेष्ठ मानकर शहर में भी गुरूवार 30 जनवरी को ही सरस्वती पूजन किया जायेगा और इसी दिन सिद्धि व सर्वार्थ सिद्धि योग में बसंत पंचमी मनायी जायेगी।

बसंत पंचमी का त्यौहार भी इस बार दो दिनों तक होने के कारण लोग शास्त्रीय परामर्श लेने एवं पूजा पाठ के लिये पंडितों के चक्कर लगा रहे हैं। बसंत पंचमी को अबूझ मूहूर्त का पर्व कहा जाता है। इसलिये 29 व 30 जनवरी को होने वाली पंचमी में किस दिन विवाह या शुभ संस्कार संपन्न किये जाये, इसको लेकर भी लोगों में उलझन है।

मराही माता स्थित कपीश्वर हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी उपेंद्र महाराज ने बताया कि 29 जनवरी को सुबह साढ़े 10 बजे पंचती तिथि आयेगी और यह अगले दिन सुबह साढ़े 10 बजे तक रहेगी। चूँकि बसंत सूर्यव्यापिनी पर्व है, इसलिये इसे 30 जनवरी हो ही मनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि गुरूवार एवं उत्तरा भाद्रपद होने के कारण इस दिन सिद्धि व सर्वाथ सिद्धि का योग भी बन रहा है। इसलिये विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का जन्मोत्सव बसंत पंचमी 30 जनवरी को की मनायी जायेगी।

उन्होंने बताया कि 24 जनवरी को पड़ने वाली मौनी अमावस्या के बाद से अगले दिन से गुप्त नवरात्र आरंभ हो जायेंगे। बसंत पंचमी इस बार विशेष रूप से श्रेष्ठ है। वर्षों बाद ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति इस दिन को और खास बना रही है। इस बार तीन ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे। मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे। विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिये ये स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है।

बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त वाले पर्वों की श्रेणी में शामिल है, लेकिन इस दिन गुरुवार और उतरा भाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा। इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। दोनों योग रहने से बसंत पंचमी की शुभता में और अधिक वृद्धि होगी।

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त : बसंत पंचमी बुधवार, 29 जनवरी से आरंभ होगी। इस दिन सरस्वती पूजा मुहूर्त सुबह पौने 11 बजे से 12ः34 तक कुल 01 घण्टा 49 मिनिट है। पंचमी तिथि 29 जनवरी को पौने 11 बजे प्रारंभ होगी एवं यह तिथि 30 जनवरी को 01ः19 बजे समाप्त होगी।

इस दिन पवित्र नदियों में किया जाता है स्नान : माना जाता है कि इस दिन अगर कोई विद्यार्थी सरस्वती देवी की आराधना करता है तो उसे सरस्वती देवी की विशेष कृपा प्राप्त हो जाती है। सरस्वती देवी को बागीशवरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वे संगीत की देवी भी हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है।

ऐसे हुआ था सरस्वती देवी का जन्म : हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की आज्ञा से इसी दिन ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की थी लेकिन आरंभ में इंसान बोलना नहीं जानता था। धरती पर सब शांत और नीरस था। ब्रह्माजी ने जब धरती को इस स्थिति में देखा तो अपने कमंडल से जल छिड़ककर एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री को प्रकट किया। इसके हाथ में वीणा थी। यह शक्ति को ज्ञान की देवी माँ सरस्वती कहा गया।

सरस्वती देवी ने जब अपनी वीणा का तार छेड़ा तो तीनों लोकों में कंपन हो गया और सबको शब्द तथा वाणी मिल गयी। यही कारण है कि इस दिन सरस्वती देवी का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन सरस्वती देवी का पूजन करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।