सिवनी मेडिकल कॉलेज में भी अब 01 मई से सेल्फी के जरिए लगेगी हाजिरी . . .

अब जीपीएस लोकेशन भी देनी होगी अनिवार्य, केंद्र सरकार ने क्यों उठाया यह कड़ा कदम?
(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सिवनी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में अब चिकित्सकों की मुगलई नहीं चलने वाली, आर्युविज्ञान महाविद्यालय में 01 मई से चिकित्सकों को जीपीएस लोकेशन के साथ सेल्फी लेकर अपनी हाजिरी लगाना होगा, अन्यथा उनकी गैरहाजिरी लगा दी जाएगी।

ज्ञातव्य है कि केंद्र सरकार ने देश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डॉक्टर्स की उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब डॉक्टरों को अपनी हाज़िरी लगाने के लिए मोबाइल ऐप के माध्यम से सेल्फी लेनी होगी, और इसके साथ ही अस्पताल की जीपीएस लोकेशन भी अनिवार्य रूप से साझा करनी होगी।
सरकार द्वारा विकसित यह फेस-रिकग्निशन आधारित आधार प्रमाणीकरण ऐप 24 अप्रैल से सक्रिय हो जाएगा, जिसे 30 अप्रैल तक सभी चिकित्सकों के लिए अपने अपने मोबाईल पर इंस्टॉल करना अनिवार्य किया गया है। ऐप की एक विशेष विशेषता यह है कि यदि उपयोगकर्ता अस्पताल परिसर की 100 मीटर की परिधि से बाहर होगा, तो उसकी उपस्थिति स्वतः अमान्य हो जाएगी।
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने इस नए सिस्टम के तहत देश भर के मेडिकल कॉलेजों से उनके अस्पताल परिसरों की ळच्ै लोकेशन 20 अप्रैल तक साझा करने को कहा है, ताकि उसे मोबाइल ऐप से जोड़ा जा सके। सिवनी के मेडिकल कॉलेज के द्वारा जानकारी भेज दी गई है।
अब 01 मई 2025 से देश भर के सभी मेडिकल कॉलेज के फैकल्टी सदस्यों की उपस्थिति केवल इसी ऐप के माध्यम से मान्य मानी जाएगी। वर्तमान में अधिकांश कॉलेजों में बायोमेट्रिक (अंगूठा) प्रणाली के जरिए हाज़िरी दर्ज की जाती है, जिसे अब पूरी तरह डिजिटल किया जा रहा है।
फिलहाल देश के सभी मेडिकल कॉलेज और संस्थानों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम के माध्यम से उपस्थिति दर्ज हो रही है, लेकिन अब यह नियम बदल जाएगा। एनएमसी के सचिव डॉ. राघव लैंगर ने कहा है कि यूआईडीएआई आरडी (पंजीकृत डिवाइस सेवा) के साथ फेस आधारित आधार प्रमाणीकरण वर्तमान में एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) के माध्यम से विभिन्न सरकारी कार्यालयों में उपयोग में है।
इस बदलाव के पीछे नेशनल मेडिकल कमीशन की नई स्नातकोत्तर न्यूनतम मानक आवश्यकताएं 2023 का बड़ा योगदान है, जिसके तहत मेडिकल कॉलेज फैकल्टी के लिए कम से कम 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। इसके अतिरिक्त, कॉलेज के निर्धारित समय में निजी प्रैक्टिस पर भी पूर्णतः रोक लगा दी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सख्ती इसलिए की जा रही है क्योंकि मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थियों की उपस्थिति लगातार घट रही है, और इसका एक बड़ा कारण फैकल्टी सदस्यों की अनियमित उपस्थिति भी रही है। केंद्र सरकार का यह कदम शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन माना जा रहा है।
जानिए क्यों हुई इसकी शुरुआत?
दरअसल, एनएमसी ने पारदर्शिता बढ़ाने और मैनुअल हस्तक्षेप को कम करने के लिए पिछले साल एईबीएएस पोर्टल की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य फिजिकल इंस्पेक्शन की जरूरत को खत्म करना और इसके बजाय डेटा एक्यूरेसी और औचक निरीक्षण पर भरोसा करना था। पिछले साल अधिकारियों ने कहा था कि अटेंडेंस सिस्टम डॉक्टरों या छात्रों को परेशान करने के लिए नहीं था, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए था कि मेडिकल कॉलेज में असली डॉक्टर और फैकल्टी काम कर रहे हैं।

नेशनल मेडिकल कॉसिल के द्वारा मांगी गई जानकारी 20 अप्रैल के पूर्व ही भेजी जा चुकी है। एनएमसी के निर्देशों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित किया जाएगा। देश भर के अन्य आर्युविज्ञान महाविद्यालयों की तरह ही सिवनी के मेडिकल कॉलेज में भी सेल्फी के जरिए हाजिरी लगना आरंभ हो जाएगी।
डॉ. परवेज अहमद सिद्धीकि,
डीन,
मेडिकल कॉलेज, सिवनी.

अखिलेश दुबे

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