ऑक्सीजन लगाकर बचायी तेंदुए की जान, किया भोपाल शिफ्ट
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। पेंच टाइगर रिज़र्व के एक दल के द्वारा नरसिंहपुर जिले में फंदे में फंसे तेंदुए का रेस्क्यू किया जाकर उसे बचाया गया। यह तेंदुआ खेत के पास लगे एक फंदे में फंसा बताया जा रहा है। इसकी सांसें थमने को ही थीं कि रेस्क्यू दल के द्वारा इसे बेहोश किया जाकर ऑक्सीजन देकर इसकी जान बचायी गयी।
पेंच टाइगर रिज़र्व के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नरसिंहपुर जिले के गोटी तोरिया के जंगलों में मऊ ग्राम के आसपास तेंदुए की दहशत बनी हुई थी। ग्रामीण भयभीत थे, इसी बीच वन विभाग के अमले को सूचना मिली कि एक तंेदुआ इस ग्राम के पास फंदे में फंसा छटपटा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि तेंदुए को पकड़ने के लिये पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण वन विभाग के द्वारा पेंच नेशनल पार्क के दल को इसका रेस्क्यू करने के लिये बुलाया। पेंच का दल शुक्रवार की रात मौके पर पहुँचा, पर प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते रात को रेस्क्यू नहीं किया जा सका।
सूत्रों की मानें तो सुबह पौ फटते ही रेस्क्यू आरंभ किया गया। तेंदुए की हालत बहुत ही खराब प्रतीत होने के कारण उसे ज्यादा मात्रा में निश्चेतक दवाएं नहीं दी गयीं। तेंदुआ जैसे ही बेहोश हुआ वैसे ही दल का नेत्तृत्व कर रहे डॉ.अखिलेश मिश्रा सहित अन्य लोग उसके पास पहुँचे।
सूत्रों ने यह भी बताया कि दल जब तेंदुए के समीप पहुँचा तब तेंदुए की सांसे थमती सी प्रतीत हो रहीं थीं, क्योंकि फंदा उसके सीने में कसा हुआ था, जिसके चलते उसका दम घुटता जा रहा था। इस तरह के फंदे खेतों के आसपास इसलिये लगाये जाते हैं ताकि जंगली सूअर और अन्य जानवर फसलों को नुकसान न पहुँचा पायें।
सूत्रों ने कहा कि इसके बाद तेंदुए को एक ट्रॉली की सहायता से लगभग डेढ़ किलो मीटर दूर खड़े रेस्क्यू वाहन तक ले जाया गया। यहाँ उसे ऑक्सीजन दी जाकर उसकी जान बचायी गयी। उसके सीने में घाव होने के चलते उसकी मरहम पट्टी भी मौके पर की गयी।
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद तेंदुए को स्वस्थ्य होने तक वन विहार में स्थानांतरित करने के उच्चाधिकारियों के निर्देश के उपरांत तेंदुए को वन विहार ले जाकर वहाँ छोड़ा गया। वह जब पूरी तरह स्वस्थ्य हो जायेगा, उसके बाद उसे वापस जंगल में छोड़ दिया जायेगा।
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे रेस्क्यू में वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ.अखिलेश मिश्रा, अनुविभागीय अधिकारी वन प्रमोद चौपड़ा, रेंज अधिकारी जे.डी. पटेल, वनपाल मनीष तिवारी, अमन खरे, विनोद राजपूत, जगदीश सिरसाम, गुरू रजक, कैलाश ठाकुर आदि की भूमिका उल्लेखनीय रही।

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