खैरमाई मंदिर में जारी है श्रीमदभागवत कथा

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

केवलारी (साई)। भगवान अपने भक्तों की हर परिस्थिति में रक्षा करते हैं और अहंकार करने वाले का मन तोड़ देते हैं। उक्ताशय की बात शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिष्य काशी से आये कथा वाचक हितेन्द्र शस्त्री ने केवलारी के खैरमाई मंदिर प्रांगण में जारी श्रीमद भागवत कथा में श्रद्धालुजनों से कही।

शास्त्री महाराज ने शनिवार को 16108 रानियां, बृज की गोपियां, नन्द बाबा, यशोदा का कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के समय स्नान करने पहुँचने पर हुए मिलन की कथा का भावपूर्ण वर्णन किया, जहाँ रास भी हुआ। श्रीकृष्ण को गांधारी द्वारा दिये गये श्राप, राजा परिक्षित मोक्ष की कथा उन्होंने सुनायी।

उन्होंने आगे कहा कि भगवान की भक्ति में अहंकार का कोई स्थान नहीं होता। भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का अहंकार तोड़ने के लिये ही गोवर्धन की पूजा करवायी, इसके बाद इंद्र के क्रोध से गोपी और ग्वालों को बचाने के लिये उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उंगली पर भी उठा लिया। जीवन तनाव से दूर हंसता, मुस्कुराता होना चाहिये।

उन्होंने कहा कि सभी का जीवन हस्ता हुआ कृष्ण की भांति होना चाहिये। उन्होंने कहा कि नंदजी के घर भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खबर जब कंस को लगी, तो उसने क्षेत्र के सभी नवजात शिशुओं की हत्या करवाने के लिये राक्षसी पूतना को भेजा। शास्त्री महाराज ने आगे कहा कि प्रभु हमें दर्शन देने में कभी देरी नहीं करते। जीवन में परमात्मा कितनी बार अलग – अलग रूप से हमारे पास आते हैं, लेकिन हम उनको पहचान नहीं पाते।

शास्त्री महाराज ने कहा कि सच्चे मन से पुकारने की देरी है, भगवान तत्काल प्रकट हो जायेंगे। मनुष्य को अपना चेहरा देखने के लिये जिस तरह दर्पण की आवश्यकता होती है, उसी तरह आत्मा को देखने के लिये मनरूपी दर्पण की आवश्यकता होती है। भक्ति में ही वह शक्ति है जो प्रभु को अवतार लेने पर मजबूर कर देती है।

हितेंद्र शास्त्री ने आगे बताया कि भागवत कथा सुनना भी एक प्रकार का तप है। भागवत कथा जो सुनते हैं उनके कष्ट अवश्य दूर होते हैं। अंत में आरती कर सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। कथा आयोजक चंदन लाल तिवारी आदि ने बताया कि कथा श्रवण करने के लिये दूर दराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन पहुँच रहे हैं।

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