. . . तो बिसार दिये जायेंगे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल!

 

 

0 प्रशासन लिखवा रहा जिले का नया इतिहास . . . 03

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नेशनल इंफरमेशन सेंटर (एनआईसी) द्वारा संधारित की जाने सिवनी की आधिकारिक वेब साईट में जिले के इतिहास से छेड़छाछ होती प्रतीत हो रही है। जिले के प्राचीन पर्यटन स्थलों को इस वेब साईट में स्थान नहीं दिया गया है। अभी जिन स्थलों ने पूरी तरह आकार भी नहीं लिया है उनका समावेश इसमें कर दिया गया है।

जिला प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रशासन के द्वारा स्थानीय स्तर पर जानकारों से दूरी बनाये रखने के चलते सिवनी जिले की सरकारी वेब साईट में आधी अधूरी जानकारी चस्पा कर इसे आनन फानन ऑन एयर कर दिया गया है।।

सूत्रों ने बताया कि ऐतिहासिक, सामरिक, धार्मिक महत्व के अनेक पहलुओं को सिवनी जिला अपने दामन में समेटे हुए है। सिवनी जिले का गौरवशाली इतिहास भी रहा है। आज प्रौढ़ हो रही पीढ़ी जिले के इतिहास से बेहतर तरीके से वाकिफ है, उमर दराज़ हो रही पीढ़ी तो संभवतः अनेक मामलों की साक्षी भी है।

सूत्रों ने कहा कि अगर सरकारी वेब साईट से ही जिले के महत्वपूर्ण स्थलों को पृथक कर दिया जायेगा तो आज जवान हो रही पीढ़ी जिले के उस इतिहास को जानने से वंचित रह जायेगी जो सिवनी में घटा है। सिवनी की युवा हो रही पीढ़ी उसी इतिहास को सही मानेगी जो इस सरकारी वेब साईट में दर्ज होगा।

सूत्रों ने बताया कि जिले के छपारा की गढ़ी, आदेगाँव के किले, आष्टा के प्राचीन मंदिर, पुरातत्व संग्रहालय और कई दूसरे महत्वपूर्ण स्थानों को इस पोर्टल में स्थान नहीं दिया गया है। इसी तरह अनेक और भी स्थल ऐसे हैं जिनको इसमें स्थान दिलवाना प्रशासन के द्वारा मुनासिब नहीं समझा गया है।

सूत्रों का कहना है कि एनआईसी के द्वारा तो इस वेब साईट का महज संधारण किया जा रहा है। इस वेब साईट को जिले के इतिहास की जानकारी प्रशासन के द्वारा मुहैया करवायी जा रही है। सूत्रों की मानें तो बला टालू काम की तर्ज पर इस वेब साईट को बनाकर जल्दबाजी में ऑन एयर कर दिया गया है। प्रशासन अगर चाहता तो इस वेब साईट को बहुत ही सुंदर तरीके से लोगों के सामने पेश कर सकता था।

समाजसेवी रजत कुमार कहते हैं कि इस वेब साईट को देखकर प्रथम दृष्टया तो यही प्रतीत हो रहा है कि इस वेब साईट के जरिये सिवनी के इतिहास से छेड़छाड़ करने का प्रयास किया गया है। वहीं, व्यवसायी अंशुल का कहना है कि प्रशासन को चाहिये था कि स्थानीय जानकारों से मशविरा कर संभावित स्थलों के बारे में जानकारी लेने के बाद इस वेब साईट का शुभारंभ किया जाना चाहिये था।

लोगों का कहना है कि जिले के इतिहास को प्रशासन के द्वारा नये सिरे से लिखवाया जा रहा है और प्रदेश में सत्तारूढ़ काँग्रेस के जिलाध्यक्ष राज कुमार खुराना, नगर अध्यक्ष इमरान पटेल, विपक्ष में बैठी भाजपा के जिला अध्यक्ष प्रेम तिवारी, नगर अध्यक्ष नरेंद्र ठाकुर सहित दोनों सांसद डॉ.ढाल सिंह बिसेन, फग्गन सिंह कुलस्ते, विधायक दिनेश राय, योगेंद्र सिंह, राकेश पाल सिंह और अर्जुन सिंह काकोड़िया इस महत्वपूर्ण मामले में मौन साधे हुए हैं, जो आश्चर्य जनक ही है।

लोगों का कहना है कि इस वेब साईट में वांछित सुधार किये जाने की सूचना के साथ इसको ऑफ एयर किया जाकर नागरिकों से मशविरे के उपरांत इसे नये सिरे से बनाया जाकर ऑन एयर किया जाना चाहिये अन्यथा भविष्य में लोग अगर यह कहें कि काँग्रेस के शासन काल में सिवनी जिले का इतिहास ही बदल दिया गया तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये।

इस मामले में जिले में निवासरत साहित्य जगत से जुड़ी हस्तियों का मौन भी कम आश्चर्य जनक नहीं माना जा सकता है। इस मामले में काँग्रेस, भाजपा के जिला, नगर अध्यक्षों सहित दोनों सांसदों, चारों विधायकों से जनापेक्षा है कि इस मामले में आगे आयें और जिले के गौरवशाली इतिहास को सरकारी वेब साईट में स्थान दिलवाने के प्रयास करें।