(शेख जाहिद)
कुरई (साई)। सरकारी स्कूलों में भले ही सरकार पैसा खर्च कर रही है बावजूद भी शिक्षा प्रबंधन में कोई सुधार नहीं हो पाया है। सबसे बुरे हाल ग्रामीण क्षेत्रों के हैं।
इसका ताजा मामला आदिवासी ब्लॉक कुरई के डुंगरिया गाँव में सामने आया है। यहाँ पर प्राइमरी व मिडिल स्कूल अलग-अलग हैं लेकिन मध्यान्ह भोजन के लिये मिडिल स्कूल के छात्र प्राइमरी स्कूल जाते हैं। इसलिये उन्हें आधा किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। वहीं दूसरी बड़ी समस्या है कि प्राइमरी स्कूल में पाँच कक्षाएं एक ही कमरे में लग रही हैं।
शेड नहीं होने से बनी समस्या : डुंगरिया गाँव के मिडिल स्कूल में एमडीएम के लिये किचन शेड नहीं है। ऐसे में एमएडीएम प्राइमरी स्कूल में बनता है। दोपहर में मिडिल स्कूल के छात्र आधा किमी चलकर प्राइमरी स्कूल पहुँचते हैं। यहाँ वे प्राइमरी स्कूल के छात्रों के साथ बैठकर मध्यान्ह भोजन करते हैं। यह सिलसिला काफी समय से चल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अतिरिक्त कमरे बन जाते तो यह समस्या नहीं होती। एमडीएम के लिये आने जाने में ही समय व्यर्थ जाता है।
अतिरिक्त कक्ष में पाँच कक्षाएं : डुंगरिया के सरकारी प्राइमरी स्कूल में पहली से पाँचवी तक 37 छात्र-छात्राएं एक अतिरिक्त कक्ष में 5 कक्षा के छात्र पढ़ रहे हैं। ऐसे हालातों में अध्यापन कार्य में परेशानी आ रही है। प्रधानपाठक नूर सिंह उइके व सहायक अध्यापक अजय ककोड़िया के अनुसार स्कूल की पुरानी बिल्डिंग जर्जर हो गयी थी। उसे चार साल पहले डिसमेंटल कर दिया गया था। अब एक अतिरिक्त कक्ष में पाँच कक्षाएं लगाई जा रही है। कई बार नई बिल्डिंग की मांग की जा चुकी है लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।
एमडीएम के लिये परेशानी : मिडिल स्कूल में मध्यान्ह भोजन के लिये किचन शेड नहीं होने के कारण दोनों स्कूलों के छात्रों को एक साथ मध्यान्ह भोजन कराया जा रहा है। मिडिल में 46 व प्राइमरी में 37 छात्र हैं। दोनों ही पढ़ाई वाले कमरे में बैठकर भोजन करते हैं। बरसात के समय में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार तो बारिश होने से मिडिल स्कूल के छात्र प्राइमरी स्कूल तक नहीं पहुँच पाते या फिर देरी से आते हैं। ऐसे में अन्य शिक्षण काम प्रभावित होता है।

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