जिलाधिकारी के निर्देशों की भी पालिका को नहीं परवाह!

 

 

गाजर घास से पटा शहर, आवारा जानवरों ने किया नाक में दम!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण और शहर सरकार आपके द्वार योजना के तहत समीक्षा बैठक में भाजपा शासित नगर पालिका के अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये जाने के दो दिन बाद भी शहर की स्थिति जस की तस ही नज़र आ रही है। पालिका का अमला अभी भी हरकत में आता नहीं दिख रहा है।

ज्ञातव्य है कि जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा गत दिवस कलेक्टर चैंबर में आयोजित बैठक में मुख्य नगर पालिका अधिकारी को निर्देशित किया गया था कि शहर को गाजर घास से मुक्त कराया जाकर शहर के नाले नालियों को साफ कराने, प्रकाश व्यवस्था को चाक चौबंद कराने के निर्देश उन्होंने दिये थे।

ब्रहस्पतिवार को शहर की स्थिति जस की तस ही नज़र आ रही है। शहर में कुछ स्थानों पर नालियों से कचरा निकालकर बाहर तो रख दिया गया है, पर इस कचरे का उठाये नहीं जाने के कारण आवारा जानवर, विशेषकर सूअरों के द्वारा इस कचरे को वापस नालियों में ढकेला जा रहा है।

शहर में आवारा जानवरों से लोग बुरी तरह आज़िज आ चुके हैं। जगह – जगह सड़कों पर बैठे आवारा जानवर आवागमन को बाधित करते दिखायी देते हैं। इसके अलावा आवारा श्वानों के द्वारा लोगों को जमकर डराया जा रहा है। आवारा घूम रहे सूअरों ने खाली पड़े प्लाट्स पर अपना डेरा जमा लिया है।

बताते हैं कि विधान सभा चुनावों के दौरान नरसिंहपुर जिले के करेली में एकाएक आवारा श्वानों की तादाद में कमी आने से लोग अचंभित थे। इस दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र से सुरक्षा बल ही नरसिंहपुर जिले में आया था। लोग आज भी करेली क्षेत्र से आवारा श्वानों के अचानक ही लापता होने के राज को जानने आतुर हैं!

बहरहाल, शहर के दुकानदार इस बात से खासे परेशान हैं कि उनके प्रतिष्ठानों के सामने आवारा जानवरों के द्वारा मल मूत्र त्याग दिया जाता है, जिससे उन्हें प्रतिष्ठान खोलने के साथ ही इसकी सफाई भी करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि नगर पालिका के पास इस समस्या का हल नहीं है।

पूर्व में तत्कालीन जिलाधिकारी भरत यादव के द्वारा सड़कों पर आवारा जानवर विशेषकर काले रंग के जानवरों को सड़कों से हटाने के निर्देश दिये गये थे। उस दौरान कार्यवाही हुई किन्तु इसके उपरांत नगर पालिका प्रशासन एक बार फिर पुराने ढर्रे पर ही चलने लगा।

शहर में गाजर घास बहुतायत में दिखायी दे रही है। खाली पड़े प्लाट्स के अलावा खेल के मैदानों के आसपास गाजर घास के जंगल दिखायी देने लगे हैं। पालिका के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पालिका के पास एक तरह का रसायन है जिसके छिड़काव के बाद गाजर घास का शमन कुछ ही दिनों में हो जाता है पर पालिका के द्वारा इस दिशा में ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

मॉडल रोड की लाईट नहीं हो पायी आरंभ : नगर पालिका की बेढंगी चाल का एक नमूना शहर की मॉडल रोड पर ही दिखायी दे जाता है। लगभग पाँच सालों में भी मॉडल रोड का काम पूर्णता को नहीं पा सका है। इतना ही नहीं मॉडल रोड पर सड़कों के बीच सालों से ठूंठ के मानिंद खड़े खंबों पर लाईट तो लग गयी है पर इन्हें चालू नहीं किया गया है!

नये वाहनों की खरीद का ताना बाना : शहर में डोर टू डोर कचरा उठाने के लिये पर्याप्त वाहनों के होने के बाद नगर पालिका के द्वारा अब कचरा उठाने के लिये टाटा कंपनी के नये वाहनों की खरीद का ताना बाना बुना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो छिंदवाड़ा से जल्द ही आधा दर्जन कचरा गाड़ियों को खरीदने की कार्यवाही को अंजाम दिया जाने वाला है।

जरा सी बारिश में तालाब बन जाता है बुधवारी बाज़ार : शहर का मुख्य बुधवारी बाज़ार जरा सी बारिश में ही तालाब में तब्दील हो जाता है। इसका कारण यह है कि बुधवारी बाज़ार में नालियों पर दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है। बीते साल एक दुकान के अंदर नाली का चैंबर भी निकला था। बुधवारी बाज़ार को बारिश में जल मग्न होने से बचाने के लिये नगर पालिका के पास किसी तरह की ठोस कार्ययोजना न होने के कारण बुधवारी बाज़ार के व्यापारी बारिश के दिनों में सहमे ही दिखायी देते हैं।

बंद पड़े हैं यातायात सिग्नल : इसी तरह शहर के आधा दर्जन स्थानों पर लाखों रूपयों की होली खेलकर लगाये गये यातायात सिग्नल्स में से अधिकांश लंबे समय से ही बंद पड़े हुए हैं। लोगों का कहना है कि इन यातायात सिग्नल्स को अगर चालू नहीं कराया जाना था तो इन पर लाखों रूपये क्यों बर्बाद किये गये!