वार्ड आरक्षण, परिसीमन पर से नहीं हट सका कुहासा!

 

0 चतुष्सीमा का अता पता नहीं . . . 02

पुराने प्रस्तावों पर लगवा दी मुहर, नये सिरे से कवायद करने से कतराया प्रशासन!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नगर पालिका परिषद में अफसशाही के बेलगाम घोड़े आज भी दौड़ते हुए दिख रहे हैं। शहर में दो दर्जन की बजाय तीन दर्जन वार्ड के लिये आरक्षण तो कर दिया गया है, किन्तु वार्ड की सीमाओं के बारे में पूछने पर अधिकारी बगलें झांकते ही नज़र आते हैं।

आरक्षण प्रक्रिया संपन्न हुए भी चार दिन बीत जाने के बाद अब तक प्रमुख सियासी दल काँग्रेस और भाजपा के द्वारा भी किसी तरह की आपत्ति न लिया जाना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है। और तो और वार्ड की चतुष्सीमा का अता पता नहीं है पर सियासी दलों के नुमाईंदे नीरो के मानिंद बंसी बजाते ही दिख रहे हैं।

नागरिकों का कहना है कि जिला मुख्यालय में जिले की इकलौती नगर पालिका परिषद की मनमानियों पर अंकुश लगाना सियासी दलों के नुमाईंदों के बस की बात नहीं रह गयी है। अब जबकि वार्ड के आरक्षण हो चुके हैं, अखबारों में वार्ड की भौगोलिक सीमाओं के बारे में प्रमुखता के साथ खबरों का प्रकाशन किया जा रहा है तब भी काँग्रेस – भाजपा संगठन की तंद्रा नहीं टूट पायी है।

जिला प्रशासन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिलाधिकारी प्रवीण सिंह इस मामले में संजीदा नज़र आ रहे हैं। उन्हें चिंता नागरिकों की है, कि नागरिकों का वार्ड जब बदलेगा तो उन्हें अपने आधार कार्ड, राशन कार्ड, बैंक एकाउंट आदि आवश्यक दस्तावेजों में पतों का परिवर्तन कराने के लिये जद्दो जहद करना पड़ेगा।

सूत्रों ने बताया कि जिलाधिकारी के संज्ञान में यह बात लायी गयी है कि आज भी वार्ड के नागरिक भ्रम की स्थिति में हैं कि वे किस वार्ड के निवासी रह गये हैं। इसी बात के मद्देनज़र जिलाधिकारी ने राजस्व सहित पालिका के अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि सारी कवायद करने के बाद ही राजपत्र में इसका प्रकाशन कराया जाये, यही कारण है कि अब तक राजपत्र में जानकारी प्रकाशित नहीं हो सकी है।

नेता भी असमंजस में : शहर में 24 वार्ड की बजाय अब 36 वार्ड कर दिये गये हैं। इनकी आरक्षण प्रक्रिया भी पूरी करवा दी गयी है। वार्ड की सीमाएं तय नहीं होने के कारण नागरिक तो नागरिक अब नेता भी असमंजस में दिख रहे हैं कि वे किस वार्ड से किस्मत आजमायें और उसकी भौगोलिक सीमाएं क्या होंगी!

दल बैठे हैं निश्चिंत : इस मामले में प्रमुख राजनैतिक दल काँग्रेस और भाजपा के नेता भी पूरी तरह निश्चिंत बैठे ही दिख रहे हैं, मानों उन्हें नागरिकों को होने वाली परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है। काँग्रेस के सूत्रों की मानें तो काँग्रेस के जिलाध्यक्ष पिछले दिनों प्रवास पर थे, इसलिये वे इस पूरी प्रक्रिया से अनिभिज्ञ हैं तो भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भाजपा के जिलाध्यक्ष के चार दिन बाद भी इस मामले में रणनीति नहीं बना पाये हैं।

प्रशासक बने जिलाधिकारी : इधर, जब वार्ड आरक्षण और परिसीमन को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्माया तब तक तो पालिका के अधिकारी निश्चिंत बैठे थे, पर जैसे ही जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा प्रशासक का पदभार ग्रहण किया गया है उसके बाद से अधिकारियों की सांसें फूलती दिख रहीं हैं, क्योंकि अब परिसीमन और आरक्षण के संबंध में उन्हें सीधे जिलाधिकारी के सवालों का सामना करना पड़ सकता है।

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