करोड़ों के माल खुर्द बुर्द हो रहे कबाड़ियों के पास!
(अपराध ब्यूरो)
सिवनी (साई)। जिले भर में कबाड़ का व्यवसाय करने वाले लोगों पर लंबे समय से पुलिस मेहरबान ही नज़र आ रही है। सालों से कबाड़ियों के पास कौन क्या बेचकर जा रहा है! इस बात की तस्दीक करने की फुर्सत पुलिस को नहीं मिल पा रही है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि चोरी का सामान खुर्द बुर्द करने के लिये कबाड़ का व्यवसाय करने वाले स्थान चोरों के लिये मुफीद साबित हो रहे हैं।
जिले में हाल ही में ट्रक को कबाड़ियों के पास बेचकर कटवाने के बाद उसकी चोरी करने के आरोप जैसे मामले प्रकाश में आये हैं। पुलिस प्रशासन के द्वारा पखवाड़े में एक दिन इन कबाड़ के व्यवसाय करने वालों की जाँच का आदेश तो दिया गया है किन्तु यह आदेश भी कागजों तक ही सिमटता दिख रहा है।
परिवहन विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि ऑफ रोड हो चुके वाहनों को भी कबाड़ में कटवाने के लिये परिवहन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र की दरकार होती है, किन्तु अब तक न जाने कितने वाहनों को बिना अनापत्ति के ही कबाड़ियों के पास कटवा दिया गया है। इससे उन वाहनों के नंबर्स को रीसाईकिल कर नये सिरे से जारी करने की प्रक्रिया भी नहीं हो पा रही है।
सूत्रों की मानें तो जिले में कबाड़ का काम करने वाले अनेक व्यवासयियों के पास बिना दस्तावेज, बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के ही वाहनों को कटवाया जा रहा है। कबाड़ियों के द्वारा इस तरह के वाहनों के उपयोग में आने वाले सामान को वाहन सुधारने वाले मिस्त्रियों के साथ सांठगांठ कर बेच दिया जाता है।
यहाँ यह उल्लेखनीय होगा कि पिछले साल शहर के एक कबाड़ व्यवसायी के पास सरकारी शालाओं में बंटने आयी पाठ्य पुस्तकों को भी बड़ी मात्रा में जप्त किया गया था। इस तरह के संगीन मामले के प्रकाश में आने के बाद भी पुलिस के द्वारा कबाड़ियों के खिलाफ किसी तरह की ठोस कार्यवाही न किया जाना आश्चर्य जनक ही माना जाता रहा है।
इसके अलावा मोहगाँव से खवासा तक सड़क निर्माण करने वाली दिलीप बिल्डकॉन कंपनी की पुल बनाने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री को भी पुलिस के द्वारा बटवानी स्थित एक कबाड़ व्यवसायी के पास से जप्त किया गया था। यह उदाहरण इस बात को रेखांकित करने के लिये पर्याप्त माना जा सकता है कि कबाड़ियों के द्वारा बिना तफ्तीश और तस्दीक के ही चोरों से इस तरह का चोरी का माल खरीद लिया जा रहा है।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय होगा कि लगभग दो साल पहले पुराने बायपास पर एक कबाड़ के ढेर में लगी आग को बुझाने के लिये नगर पालिका के दमकलों की सांसें फूल गयीं थी। इस दौरान करोड़ों रूपये का कबाड़ जलने की बात भी कही जा रही थी। यक्ष प्रश्न यही है कि करोड़ों रूपयों का कबाड़ का कारोबार जिले में संचालित हो रहा है और आयकर, वाणिज्य कर विभाग सहित अन्य महकमों के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लग पा रही है।
संकरी गलियों में चल रहा कबाड़ का कारोबार : बोरदई चौराहे से बालाघाट रोड को जोड़ने वाले पुराने बायपास पर स्थित कबाड़ गोदाम में दो साल पहले भयंकर आग लगी थी। आग को बुझाने में तकरीबन 50 से अधिक दमकल, फायर फायटर एवं टैंकर्स का उपयोग हुआ था।
लोगों का कहना था कि कबाड़ का यह गोदाम शहर के बाहर होने कोई जनहानि नहीं हुई लेकिन शहर के अंदर संकरी गलियों में कबाड़ की दुकानें संचालित हो रही हैं। किन्ही कारणों से इन कबाड़ में आग लग जाये तो आग बुझाने के लिये दमकल वाहन भी मौके तक नहीं पहुँच पायेंगे। ऐसे में बड़ा हादसा व जनहानि हो सकती है।
लोगों की मानें तो पूर्व में भी लगातार ही अनेकों बार शहर के अंदर सकरी गलियों में संचालित हो रही कबाड़ के व्यवसाय से प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है लेकिन प्रशासन ने अब तक इन दुकानों को शहरी सीमा से बाहर करने के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं।

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