छपारा के नगर पंचायत बनने के मार्ग हुए धुंधले

 

आन्दोलन और पंचायत चुनाव के बहिष्कार की तैयारी में छपारावासी 

(फैयाज खान)

छपारा (साई)।

सिवनी जिले के विकास खण्ड मुख्यालय छपारा को नगर पंचायत बनाए जाने की राह में अनेक अडंगे दिख रहे हैं। आने वाले स्थानीय निकाय अथवा त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में छपारा में ग्राम पंचायत के चुनाव करवाए जा सकते हैं।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश में लगभग 22 नगर परिषदों का गठन किया गया था, जिन्हें राज पत्र में भी नगर परिषद घोषित कर दिया गया था। जिले की सबसे बड़ी प्रदेश की ग्राम पंचायत छपारा को वर्ष 2014 में हाईकोर्ट के निर्देशों पर छपारा को नगर परिषद बनाए जाने के आदेश तत्कालीन शिवराज सरकार को दिए गए थे जिसके बाद सरकार द्वारा छपारा को नगर परिषद बनाकर राजपत्र मे प्रकाशित कर दिया गया था।

इतना ही नहीं छपारा में नगर परिषद चुनाव को लेकर परिसीमन और आरक्षण की कार्यवाही भी कर ली गई थी। लोगों के द्वारा उम्मीद जताई जा रही थी कि लंबे अरसे के बाद छपारा ग्राम पंचायत से छुटकारा मिलेगा और ग्राम पंचायत की जगह अब नगर परिषद के चुनाव होंगे जहां नगर परिषद में पर्याप्त संसाधन मूलभूत सुविधाएं मुहैया हो पाएंगी।

सत्ता परिवर्तन होने के बाद प्रदेश सरकार ने प्रदेश की 22 नई नगर परिषदों को नगर परिषद बनाने से रद्द कर दिया जिसमें छपारा भी शामिल है। प्रदेश सरकार ने 07 मार्च को राजपत्र में अधिसूचना जारी करते हुए छपारा व केवलारी को भी ग्राम पंचायत ही बने रहने की बात कही गई है।

नगर परिषद बनने से छपारा की जिला पंचायत क्षेत्र और जनपद पंचायत के सदस्य का क्षेत्र भी प्रभावित हुआ था। अब इन सब में फिर से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर कवायद शुरू हो गई है। बैठक में पंचायत चुनाव की सूची तैयार की जाने लगी है।

ऐसे में एक अहम सवाल यह भी उठ रहा है कि छपारा को नगर परिषद बनाने के लिए छपारा के बाशिंदों के द्वारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने छपारा को नगर परिषद का दर्जा दिया था और अब जिससे वर्तमान सरकार ने छीन लिया है जिससे छपारा के लोगों में खासा आक्रोश है। इस पूरे मामले को लेकर आगे जन आंदोलन भी किया जा सकता है और पूरे मामले पर हाईकोर्ट का भी रुख कर सकते हैं।

चार साल से भूमि क्रय विक्रय पर लग रहा नगरीय कर : छपारा मुख्यालय की भूमि क्रय विक्रय रजिस्ट्री में नगर परिषद के नाम पर लाखों का टेक्स वसूला जा चुका है। 2014 में छपारा को नगर परिषद कर देने के बाद से शहरी क्षेत्र में कहलाने लगा था जिससे विद्युत दरें भी बढ़ा दी गई हैं।

इतना ही नहीं लखनादौन स्थित उप पंजीयक कार्यालय में भी छपारा नगर परिषद क्षेत्र में बिकने वाली भूमियों में विकास शुल्क के नाम पर लाखों रुपए लिया जा चुका है। अगर छपारा को नगर परिषद के बजाए ग्राम पंचायत ही रखा गया है तो इस कर को लेने का ओचित्य समझ से परे ही है।