ऊपरी चमक-दमक से नहीं हो पायेगा सुधार!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। जिला अस्पताल के सुधार के लिये मैं भी अस्पताल मित्र हूँ योजना का आगाज़ किया गया है। इस योजना में लोगों का सहयोग तो मिल रहा है किन्तु लोगों को अस्पताल की व्यवस्थाओं में अपेक्षाकृत सुधार न मिल पाने के कारण लोगों में निराशा ही पसरती दिख रही है। लोगों का कहना है कि पहले अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार किया जाये उसके बाद अस्पताल में रंग रोगन और निर्माण कार्य करवाये जायें।
बताया जाता है कि जिला चिकित्साल में मरीज़ के पंजीयन के लिये तीस रूपये शुल्क दिये जाने के बाद पर्ची बनायी जा रही है। इस पर्ची का साईज लगभग साढ़े आठ सेंटीमीटर लंबा और महज़ आठ सेंटी मीटर चौड़ा है। इसमें लिखी इबारत को पढ़ने के लिये लेंस की जरूरत पड़ रही है।
अस्पताल में चल रहीं चर्चाओं के अनुसार उपचार करने वाले चिकित्सकों के द्वारा जब इस छोटी सी प्रिस्क्रिप्शन स्लिप पर दवाएं लिखी जाती हैं तो महज़ दो या तीन दवाओं में ही पर्ची भर जाती है। इसके बाद चिकित्सकों को दूसरी पर्ची का उपयोग करना पड़ रहा है।
चर्चाओं के अनुसार इसके अलावा चिकित्सकों के द्वारा जब अस्पताल के दवा वितरण कक्ष से दवाएं लेने के लिये पृथक से पर्ची बनायी जाती है तो उसमें इस प्रिस्क्रिप्शन स्लिप में अंकित पंजीयन क्रमाँक को दवा पर्ची पर लिखना होता है। चिकित्सकों को इस पर्ची में पंजीयन नंबर पढ़ने में दिक्कत होने के कारण चिकित्सकों के द्वारा मरीज़ या उनके परिजनों से ही पंजीयन नंबर पढ़कर बताने को कहा जाता है।
इधर, अस्पताल के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नियमानुसार पंजीयन पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन स्लिप) को ए-4 साईज के कागज पर निकाला जाना चाहिये, जिसके लिये ठेकेदार फर्म को अस्पताल प्रशासन के द्वारा ठेका दिया गया है। विडंबना ही कही जायेगी कि अस्पताल प्रशासन की कथित अनदेखी के चलते छोटी सी पर्ची में ही काम चलाया जा रहा है। मरीज़ के सामने सबसे बड़ी समस्या यह भी उभरकर सामने आ रही है कि इतनी छोटी पर्ची को वह सम्हालकर कैसे रखे!
लोगों का कहना है कि जिलाधिकारी प्रवीण सिंह के द्वारा बार – बार अस्पताल का निरीक्षण किया जा रहा है। अस्पताल में रंग रोगन और निर्माण कार्य को प्राथमिकता के आधार पर संपादित किया जा रहा है किन्तु अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
लोगों की मानें तो अस्पताल में पास सिस्टम तत्काल लागू किया जा सकता है पर इसे 01 अगस्त तक टाल दिया गया है। इसके अलावा छोटी सी पंजीयन पर्ची के संबंध में जिलाधिकारी का ध्यान अस्पताल प्रशासन के द्वारा आकर्षित नहीं कराये जाने से इस तरह की मूल समस्याओं की ओर जिलाधिकारी का ध्यान नहीं जा पा रहा है।

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