(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। भारी गर्मी के बाद अब जल्द ही लोगों को मॉनसून का इंतजार है। गर्मी की बिदाई और बारिश की राहत भरी बूंदों के स्वागत के लिये लोग बेसब्र हैं। बताया जाता है कि 22 जून के आसपास मॉनसून की आमद होगी। ऐसे में हम आपको बारिश से जुड़ी कुछ ऐसी रोचक मान्यताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका प्रचलन आज भी कहीं न कहीं देखने मिलता है।
मूसल में मेंढक : छोटे बच्चों द्वारा मूसल में मेंढक बाँधकर उसे घर-घर घुमाया जाता है। फिर उस पर पानी मारकर अच्छी बारिश की कामना की जाती है। बैतूल, मुलताई आदि क्षेत्रों में आज भी ऐसा नज़ारा देखने मिल जाता है।
मेंढक की शादी : बालाघाट, मण्डला सहित ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में अब भी मेंढक की शादी का प्रचलन है। ये विवाह पूरे परंपरागत तरीके से होता है। मेंढक – मेंढकी को दूल्हा – दुल्हन बनाया जाता है और गाजे बाजे के साथ इनकी बारात निकाली जाती है। विवाह के इस कार्यक्रम में गाँव के बड़े बुजुर्ग भी शामिल होते हैं।
पर्जन्य अनुष्ठान : देश में अच्छी बारिश की कामना से उज्जैन के सुप्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में प्रति वर्ष पर्जन्य अनुष्ठान किया जाता है। ये अनुष्ठान बारिश के नक्षत्र मृगशिरा में होता है। पूजन में मंदिर के पुजारी राजाधिराज बाबा महाकाल चौबीस घण्टे में सहस्त्रधारा से अभिषेक कर बिल्व पत्र चढ़ाते हैं।
पक्षी के अण्डे : पशु – पक्षियों में प्रकृति समझने और बदलाव को जानने की अद्भुत क्षमता होती है। ऐसी मान्यता है कि टिटहरी ऊँचाई या खेत की मेढ़ पर अण्डे रखे तो ज्यादा बारिश होने की संभावना रहती है। यदि अण्डों के मुँह जमीन की ओर हों तो मूसलाधार बारिश होती है। वहीं समतल जमीन पर अण्डे रखते हैं तो औसत और किसी गड्ढे में अण्डे दिखे तो सूखा पड़ने की भविष्यवाणी कर दी जाती है। यह पक्षी जितने अण्डे देता है उतने ही माह बारिश होती है।
घड़ा गड़ाना : कहते हैं कि पुराने जमाने में व्यापारी वर्ग पानी एक घड़े में भरकर उसे तंत्र मंत्रों की सहायता से जमीन में गड़ा देते थे। इससे कई बार बारिश नहीं होती थी और सूखा तक पड़ जाता था। इन घड़ों को जब तक उखाड़ा नहीं जाता था तब तक बारिश नहीं होती थी। ऐसा वे महंगाई बढ़ाने और ज्यादा आमदानी के लिये किया करते थे।
जिंदा महिला की शव यात्रा : मध्य प्रदेश के रतलाम में मान्यता है कि यदि किन्नर नृत्य साधना करें तो इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं। इसी प्रकार जिंदा महिला की शव यात्रा भी यहाँ बारिश के लिये निकाली जाती है।
बच्चों की प्रार्थना : कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी बारिश के लिये छोटे – छोटे बच्चों को नग्न करके घुमाया जाता है। कहते हैं इससे बारिश के देव बच्चों की प्रार्थना सुनते हैं और शीघ्र ही अच्छी बारिश होती है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जून माह में ऐसा नजारा देखने मिल जाता है। मेंढक की आवाज और पहली बारिश की बूंद से पड़ने वाले गुब्बारे के आकार से भी बारिश का अनुमान लगाया जाता है।
खेतों में चलायें हल : प्रदेश के कई ग्रामीण क्षेत्रों में ये भी मान्यता है कि यदि महिलाएं रात के वक्त नग्न होकर खेतों में हल चलायें तो इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और अच्छी बारिश होती है। इस दौरान महिलाएं घेरा बनाकर खेत को घेर लेती हैं, जिससे कोई और ये सब नहीं देख पाये।

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