घंसौर के किसानों को हो सकता है हजारों का नुकसान!

 

पटवारी ने घर बैठे तय कर दी गिरदावरी, पटवारी की मनमानी का खामियाजा भुगतेंगे किसान!

(शरद खरे)

सिवनी (साई)। आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के सैकड़ों किसानों को इस बार स्थानीय पटवारियों की गलती का खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, पटवारी के द्वारा खेतों का भौतिक सत्यापन किये बिना ही गिरदावरी तय कर दी गयी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अब जो गिरदावरी तय की गयी है उसके बाद जब भी किसान अपने खून पसीने से उगायी गयी फसल को लेकर खरीद केंद्र में जायेंगे तो उन्हें फसल का वाज़िब दाम शायद ही मिल पाये। किसानों का आरोप है कि पटवारी के द्वारा गाँव में गये बिना ही गिरदावरी तय कर दी गयी है।

पद्दीकोना, झिंझरई, झुरकी, ब्यौहारी सहित अनेक गाँवों के किसानों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान बताया कि वे इस मामले में बेहद परेशान हैं। उनका आरोप है कि पटवारी के द्वारा उनके गाँवों में जाये बिना, मौका मुआयना किये बिना ही खेतों की गिरदावरी तय कर दी गयी है।

किसानों का आरोप है कि पटवारी के द्वारा कई स्थानों पर उनकी सिंचित जमीन को असिंचित जमीन की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया गया है। इन परिस्थितियों में भविष्य मंें अब जब भी वे अपनी फसल को लेकर खरीद केंद्र में जायेंगे उन्हें वाज़िब दाम नहीं मिल पायेगा, इसलिये वे चिंताग्रस्त हैं।

क्षेत्र में चल रहीं चर्चाओं के अनुसार इस साल घंसौर क्षेत्र में गिरदावरी को लेकर अनेक सवालिया निशान भी लगते आये हैं। किसानों ने यह आरोप भी लगाया है कि खेतों में इस बार की गयी बोवनी के पहले ही गिरदावरी तय कर दी गयी है। मोहन सिंह पटेल, महेंद्र सिंह, महेश चौधरी, अषाढ़ू, चैतू, बैसाखू सहित अनेक किसानों ने कहा कि क्षेत्र में पटवारियों के द्वारा की गयी इस गफलत का खामियाज़ा किसानों को फसल कटने के बाद उठाना पड़ सकता है।

किसानों की मानें तो सिंचित और असिंचित जमीन पर फसल उगाने में खरीदी की दर में भारी अंतर है। सिंचित खेत की जमीन पर उपजे अनाज से आधी दर पर असिंचित जमीन की फसल खरीदी जाती है। इस बार उनकी सिंचित जमीन पर उपजाई गयी फसल का दाम अब आधा कम मिलेगा। इतना ही नहीं, प्रति एकड़ दस क्विंटल से ज्यादा फसल उनके द्वारा कहाँ बेची जायेगी।

इस मामले में राजस्व निरीक्षक आशाराम बघेल से जब चर्चा की गयी तो उन्होंने कहा कि किसानों को इस मामले में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। अगर गलती हुई है तो सरकारी रिकॉर्ड में सुधार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहाँ इस तरह की शिकायत मिलेगी, वहाँ मामले को दिखवाया जाकर अगर आवश्यकता हुई तो फिर से गिरदावरी तय करायी जा सकती है।

हजारों किसानों की फसल दर्ज हो गयी असिंचित : किसानों का कहना है कि उनके एक एकड़ के रकबे में 20 से 25 क्विंटल गेहूँ का उत्पादन होता है। नर्मदा नदी के किनारे होने के कारण क्षेत्र की फसलें बहुत ज्यादा सिंचित हैं। इसके बाद भी पटवारी के द्वारा घर बैठे ही उनकी फसलों को असिंचित दर्शा दिया गया है।

क्या है गिरदावरी : खेतों में बुवाई के रिकॉर्ड को गिरदावरी कहते हैं। कौन से खेत के खसरा नंबर में क्या फसल, कितने क्षेत्र में बोयी गयी है, वह सिंचित है अथवा असिंचित, इस बात की जानकारी गिरदावरी में दर्ज होती है।