सामने आ सकता है शौचालय घोटाला!

 

 

दो सालों से चल रहे घोटाले पर काँग्रेस की नज़रें

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाये गये शौचालयों में हुए भ्रष्टाचार पर सरकार का रवैया अब सख्त होता हुआ नज़र आ रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के आधिकारिक पोर्टल पर राज्य शासन के द्वारा सारे आँकड़ों को डालकर पारदर्शी होने का सबूत दिया गया है।

स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान के नेत्तृत्व वाली सरकार के द्वारा केंद्रीय इमदाद से बनने वाले शौचालयों में जमकर घालमेल किया गया है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत समूचे प्रदेश से मिली शिकायतों के परीक्षण के बाद केंद्र सरकार के द्वारा राज्य सरकार से इसकी जाँच करने को कहा गया है।

सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश पर ही राज्य सरकार के द्वारा आधिकारिक पोर्टल पर सारी चीजों को सिलसिलेवार एवं जिले, जनपद वार अपलोड किया गया है ताकि लोग इसे देख सकें और सरकार को इसका फीडबैक भी मिल सके। सूत्रों ने यह भी कहा कि सिवनी जिले विशेषकर घंसौर में हुए शौचालय घोटाले की धमक भोपाल और दिल्ली तक सुनायी दी है।

सूत्रों ने बताया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के द्वारा केंद्र पोषित इस योजना में केंद्र को संतुष्ट करने की गरज से अनेक ग्रामों, जिलों आदि को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया, पर जब इसकी पड़ताल की गयी तो यह जानकारी पूरी तरह गलत ही निकलकर सामने आयी है।

सूत्रों ने बताया कि प्रदेश भर में बने शौचालयों का सत्यापन करने के बाद अधिकारियों के होश उड़ गये हैं। इसका कारण यह है कि अनेक स्थानों पर लाखों की तादाद में शौचालय महज़ कागज़ों पर ही बनाये गये हैं। मुख्यालय भोपाल के एक अधिकारी ने तो ऑफ द रिकॉर्ड यह तक कह दिया कि हालात देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि लोग अपनी विष्ठा कागज़ों पर ही कर रहे हैं, क्योंकि ये शौचालय कागज़ों पर ही बने दिख रहे हैं, धरातल पर इनका अता पता नहीं है।

सूत्रों ने बताया कि सिवनी जिले में बने लगभग दो लाख पचास हजार शौचालयों में से आधे शौचालयों का अब तक सत्यापन कराया गया है। इस सत्यापन में यह बात निकलकर सामने आयी है कि सवा लाख शौचालयों में से 34 हजार 138 शौचालय पूरी तरह अनुपयोगी हैं। यह बात स्वच्छता पोर्टल पर भी दर्ज़ है।

सूत्रों ने बताया कि जिले में जिन शौचालयों का सत्यापन कराया गया है उनमें से अधिकांश स्थानों पर शौचालय का उपयोग करने के लिये पानी की व्यवस्था ही नहीं है। कहीं शौचालय के स्थान पर मवेशी बंधे मिले तो कहीं ग्रामीणों के द्वारा कण्डे थोपे गये थे।

उल्लेखनीय होगा कि तत्कालीन जिला कलेक्टर धनराजू एस. के संज्ञान में शौचालय घोटाले की बात आने के उपरांत उनके द्वारा इस मामले में संज्ञान लिया गया था। लगभग दो साल पहले धनराजू एस. के द्वारा दल बनाये जाकर जिले के सभी विकास खण्डों में इसका सत्यापन कराया गया था।

सूत्रों की मानें तो धनराजू एस. के कार्यकाल में घंसौर विकास खण्ड में शौचालयों की जाँच करायी जाकर संबंधितों को नोटिस जारी करने की कवायद की गयी थी। उनके तबादले के बाद यह पूरा का पूरा मामला ठण्डे बस्ते के हवाले कर दिया गया था। अब एक बार फिर यह घोटाला सिर उठाता दिख रहा है।