सुपर मॉम को देख आल्हादित हो रहे पर्यटक

 

 

अब तक दे चुकी है 29 शावकों को जन्म, हर पार्क में हैं इसके वंशज

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। ब्रितानी हुकूमत के दौर में घुमंतू पत्रकार रहे रूडयार्ड किपलिंग के सुप्रसिद्ध उपन्यास द जंगल बुक के हीरो रहे मोगली की कथित कर्मभूमि पेंच नेशनल पार्क एक बार फिर पर्यटकों से गुलज़ार नज़र आ रहा है। पेंच नेशनल पार्क की शान मानी जाने वाली कॉलर वाली बाघिन (टी 15) को आसपास चहलकदमी करते देख पर्यटक आल्हादित हो रहे हैं।

पेंच नेशनल पार्क के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पार्क प्रबंधन के लिये नाले वाली बाघिन और कॉलर वाली बाघिन दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण थीं। नाले वाली बाघिन के अवसान के बाद अब कॉलर वाली बाघिन को ही पार्क के कर्मचारी अन्नदाता के रूप में देखते हैं।

सूत्रों ने बताया कि इसका कारण यह है कि दोनों ही बाघिन बहुत ज्यादा सीधी थीं और इनके मूवमेंट पेंच के अंदर बनी सड़कों के आसपास ही ज्यादा होते थे, जिसे देखने पर्यटक उमड़ पड़ते थे। इसमें खास बात यह है कि जिप्सियों की आमद रफत और पर्यटकों को देखकर भी ये विचलित हुए बिना बहुत ही आसानी से पर्यटकों को दर्शन दे देती है।

सूत्रों ने यह भी बताया कि पेंच नेशनल पार्क की कॉलर वाली बाघिन के नाम एक और रिकॉर्ड हो गया है। अब तक यह बाघिन 29 शावकों को जन्म दे चुकी है। लगभग छः माह पूर्व ही पेंच नेशनल पार्क के गेट बंद होने के पहले इसके द्वारा चार शावकों को जन्म दिया गया था।

सूत्रों ने बताया कि प्रदेश का शायद ही कोई नेशनल पार्क ऐसा होगा जहाँ टी 15 अर्थात कॉलर वाली बाघिन जिसे पेंच नेशनल पार्क के कर्मचारियों के द्वारा सुपर मॉम भी कहा जाता है, के शावकों को न भेजा गया हो। इस कॉलर वाली बाघिन के वंशजों के द्वारा प्रदेश के हर नेशनल पार्क में पर्यटकों को लुभाया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि सुपर मॉम के बारे में इंटरनेट की विभिन्न साईट्स सहित सोशल मीडिया पर भी इस कदर जानकारियां पर्यटकों के द्वारा परोसी गयी हैं कि हर पर्यटक कम से कम एक बार इस कॉलर वाली बाघिन के दीदार करना चाहता है। इस बार भी पेंच को पर्यटकों के लिये खोले जाने के बाद लगभग रोज ही कॉलर वाली बाघिन के दीदार हो रहे हैं।

सूत्रों ने यह भी बताया कि पेंच नेशनल पार्क में बाघों का कुनबा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। आने वाले समय में बाघों के लिये अगर यहाँ जगह कम पड़ने लगे तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये। इसलिये यहाँ से कुछ बाघों को या तो उन जगहों पर जहाँ बाघों की कमी है वहाँ शिफ्ट कर दिया जाये या फिर पेंच नेशनल पार्क का रकबा बढ़ा दिया जाना चाहिये।

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