दुर्दशा का शिकार प्राईवेट बस स्टैण्ड

 

 

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। तत्कालीन जिला कलेक्टर मोहम्मद सुलेमान के कार्यकाल में शहर का प्राईवेट बस स्टैण्ड बनाया गया था। लगभग डेढ़ दशकों में इसकी देखरेख न हो पाने से यह दुरावस्था को प्राप्त कर चुका है।

सिवनी का जिला अस्पताल पूर्व में जहाँ हुआ करता था, उस क्षेत्र के एक बड़े भू-भाग की काया पलट कर प्राईवेट बस स्टैण्ड का निमार्ण किया गया था। यह प्राईवेट बस स्टैण्ड आज दुर्दशा का शिकार हो चला है। लगभग 18 साल पहले निर्मित किये गये इस बस स्टैण्ड की हालत दिनों दिन बद से बदतर होते जा रही है लेकिन लगता है कि करोड़ों की लागत से किये गये इस परिसर की देख-रेख करने वालों को इससे कोई सरोकार नहीं है।

मजे की बात तो यह है कि प्राईवेट बस स्टैण्ड के रख-रखाव के नाम पर सभी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, चाहे वह गृह – निर्माण मण्डल हो, परिवहन विभाग हो, या फिर चाहे नगर पालिका। इस मामले में अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है कि इस प्राईवेट बस स्टैण्ड के रख रखाव की जिम्मेदारी वास्तव में किस विभाग की है।

गौरतलब है कि इस बस स्टैण्ड को आरंभ में बकायदा व्यवस्थित किया गया था, लेकिन दिनों दिन यहाँ की बेलगाम कार्यप्रणाली ने यात्रियों को सुविधाओं से कोसों दूर कर दिया। यहाँ पर रोजाना ही हजारों की संख्या में यात्रियों की आवाजाही होती है। इन यात्रियों की सुविधा के लिये प्रतीक्षालय के साथ ही साथ बसों के आने-जाने की जानकारी देने के लिये पूछताछ कक्ष भी बनाया गया है, लेकिन इस पूछताछ कक्ष में कोई कर्मचारी ही नहीं रहता है।

दूर दराज से आने वाले यात्रियों के लिये साफ सुथरी जमीन तक यहाँ उपलब्ध नहीं हो पाती है। यात्रियों की सुविधाओं के लिये, यहाँ लगाये गये पंखे और ट्यूब लाईट भी यहाँ से नदारद हैं। रात के समय बाहर से आये मजबूर लोग ही यहाँ बैठ पाते हैं। इससे बड़ी समस्या और क्या हो सकती है कि यहाँ के कार्यालय में ताला लगा रहता है।

प्राईवेट बस स्टैण्ड में पेयजल की व्यवस्था ही नहीं है। हालांकि इसके लोकार्पण के समय यहाँ के नलों में टोटियां लगायी गयी थीं, लेकिन वे गायब हो चुकी हैं। वैसे इन टोटियों की कोई आवश्यकता भी नहीं है क्योंकि इन नलों की पाईप लाईन में जल प्रदाय किया ही नहीं जाता है।

ऐसी स्थिति में यात्रियों को मजबूरीवश होटलों से या चाय-पान के ठेलों से पानी खरीदकर पीना पड़ता है। इसके प्लेटफॉर्म में कचरा ही कचरा दिखायी देता है। बस स्टैण्ड में मुसाफिरों के लिये फर्श को सुन्दर टाईल्स के साथ सजाया गया था। बीड़ी, सिगरेट, पाउच व अन्य खाद्य सामग्री के साथ पान की पीकों के कारण, धूल-मिट्टी से भरा काला फर्श अब नज़र ही नहीं आता है।

कलेक्टर मो.सुलेमान के कार्यकाल में, एम.पी.हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाये गये इस प्राईवेट बस स्टैण्ड का लोकार्पण 03 मई 2001 को किया गया था। यह, तब से लेकर आज तक लगातार ही दुर्दशा का शिकार होते जा रहा है। सफेद दीवारें पान की थूक से लाल कर दी गयी हैं। इस स्टैण्ड के शिलान्यास का पत्थर तक गायब कर दिया गया है।

आज के समय में यह बस स्टैण्ड एकदम संकीर्ण स्थिति में दिखायी देता है। संपूर्ण बस स्टैण्ड में जहाँ-तहाँ ट्रक के अलावा, चौपहिया वाहन, मोटर साईकिल आदि आड़े तिरछे खड़ी रहती हैं। वाहनों के इस तरह अव्यवस्थित रूप से खड़े होने के कारण यात्रियों को तो असुविधा होती ही है, आसपास के दुकानदार भी इस तरह खड़े वाहनों से परेशान होते रहते हैं।

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