वाटर हार्वेस्टिंग प्लान चारों खाने हुआ चित्त

 

 

पालिका उलझी दीगर कार्यों में, नहीं है परवाह!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। लगातार नीचे खिसक रहे भू जल को थामने के लिये और पानी की किल्लत से बचाव के लिये हर भवन के लिये वाटर हार्वेस्टिंग प्लान अनिवार्य जरूर कर दिया गया है, लेकिन नगरीय एवं ग्राम निकायों की निष्क्रियता एवं आमजनों की उदासीनता से जिले में कहीं भी वर्षा के जल के संरक्षण के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।

नगरीय निकायों में अनिवार्य तौर पर लागू किये गये वाटर हार्वेस्टिंग प्लान की धज्जियां उड़ा दी गयी हैं। कहीं किसी भी नगरीय क्षेत्र में वाटर हार्वेस्टिंग के इक्के दुक्के उदाहरण भी देखने को नहीं मिलेंगे। जिले में साल दर साल नीचे खिसक रहे भू जल स्तर और हर साल जमीन की छाती पर छेद कर बनाये जा रहे सैकड़ों बोरवेल, नलकूप, ट्यबवेल से उलीचे जा रहे पानी से जल की समस्या धीरे – धीरे बढ़ती जा रही है। जिले के आठों विकास खण्डों में कमोबेश यही आलम बना हुआ है।

जिले की लगभग एक दर्जन से ज्यादा छोटी बड़ी नदियां अकाल काल कवलित होने के लिये छटपटा रही हैं। कहीं किसी भी नदी में उचित तरीके से बनाया गया चैक डेम, स्टॉप डेम, बोरी बंधान आदि नहीं हैं, जबकि हर साल जलाभिषेक अभियान के नाम पर जिला प्रशासन तीन – तीन, चार – चार करोड़ रूपये खर्च करता है लेकिन कहीं भी वर्षा जल के संग्रहण के कार्य नहीं हो पा रहे हैं।

नगरीय क्षेत्रों में वर्षा के जल को संरक्षण करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश भूमि विकास निगम की धारा 78(4) के अनुसार भवन अनुज्ञा के लिये वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया गया है पर थोड़ी सी शिथिलता से कहीं भी इस दिशा में कोई कार्य नहीं हो सके हैं। नगर पालिका सिवन के अलावा लखनादौन एवं बरघाट नगर परिषद समेत अन्य नगरीय निकायों में भी कमोबेश यही स्थिति है। कुछ स्थानों पर तो वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर राशि भी जमा नहीं करवायी गयी।

पालिका उदासीन : नगर पालिका परिषद सिवनी सहित लखनादौन और बरघाट मंे नगर पंचायतें अस्तित्व में हैं। नगर पालिका सिवनी को भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग से ज्यादा लेना देना प्रतीत नहीं हो रहा है। जानकारों का कहना है कि पालिका के द्वारा कम से कम सरकारी भवनों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अमली जामा पहना दिया जाये तो जिला मुख्यालय में वाटर लेवल को काफी हद तक ऊपर लाया जा सकता है।

यह हैं नियम : मध्य प्रदेश भूमि विकास निगम की धारा 78(4) के अनुसार भवन अनुज्ञा के लिये वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया गया है। यह वर्ष 2009 से लागू है। इसके तहत 00 से 15 वर्ग फुट तक 2500 रूपये की संयुक्त सावधि जमा (एफडीआर) होती है। यह राशि बतौर अमानत होती है।

नगरीय निकाय यह सुनिश्चित कर लेता है कि भवन अनुज्ञा लेने वाले व्यक्ति ने बताये नक्शे के अनुसार वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना लिया है, तो उसे यह राशि तीन वर्षों के अंतराल में वापस कर दी जाती है और अगर व्यक्ति वह सिस्टम नहीं बनाता है, तो यह राशि नगरीय निकाय राजसात कर लेता है।

इस साल भी बारिश लगभग बीतने को है पर अब तक नगर पालिका सहित स्थानीय निकायों में बारिश के जल को सहेजने के लिये रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिये किसी तरह के प्रयास नहीं किये गये हैं। और तो और सरकारी कार्यालयों, शालाओं, महाविद्यालयों आदि में भी इस तरह की व्यवस्था नहीं बनायी गयी है, जिससे बारिश का पानी इस साल भी सहेजा नहीं जा सका है।

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