(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी या भगवान श्रीकृष्ण की जयंती भद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (आठवें दिन) को मनाई जाती है। इस साल जन्माष्टमी कब मनेगी इसको लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का एक अवतार माना जाता है। अष्ठमी की रात 12 बजे भगवान का श्रीकृष्ण का संकेतिक रूप से जन्म होने पर व्रत का परायण किया जाता है। बहुत से लोग मथुरा जाकर भगवान श्रकृष्ण की जन्मभूमि का दर्शन करते हैं। यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
कहा जाता है कि इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्णह के रूप में आठवां अवतार लिया था। ऐसा बी कहा जाता है कि कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के समय किए गए अनुष्ठान एकादशी व्रत के दौरान किए गए अनुष्ठानों के समान हैं।
इस साल देशभर में जन्माष्टमी 23 अगस्त को मनाई जाएगी या 24 अगस्त को इसको लेकर उलझन की स्थिति है। कहीं जन्माष्टमी 23 अगस्त की बताई जा रही है तो कहीं इसे 24 अगस्त को बताया जा रहा है। बता दें कि मान्याता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मग भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्णा पक्ष की अष्टभमी को हुआ था, जो कि इस बार 23 अगस्त को पड़ रही है। इस वजह से जन्माष्टमी 23 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी की पूजा की विधि : यह व्रत अष्टमी तिथि से शुरू हो जाता है। सुबह स्नान के बाद मंदिर घर को साफ करके बाल कृष्ण लड्डू गोपाल जी की मूर्ति मंदिर में रखे कर विधि विधान से पूजा करें।इसके बाद रात्रि 12 बूजे भगवान कृष्ण का जन्म कराएं। भगवान के गीत गाएं। गंगाजल से पहले कृष्ण को स्नान कराके नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं। भगवान के भजन गाएं। रात 12 बदे जन्म कराके गीत संगीत के बाद प्रसाद का वितरण करें।
क्या है जन्माष्ट्मी का महत्व : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्व है। यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्णन के रूप में आठवां अवतार लिया था। देश के सभी राज्य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं।

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