कहाँ ले जायी जा रही थी 08 लाख की सरकारी धान!

 

चोरी छुपे धान के परिवहन से उपज रहे अनेक सवाल!

(अय्यूब कुरैशी)

सिवनी (साई)। सरकारी स्तर पर खरीदे गये गेहूँ और धान के बर्बाद होने के अनेक मामले प्रकाश में आते हैं, पर हाल ही में सरकारी स्तर पर खरीदी गयी धान के अवैध रूप से परिवहन किये जाने का एक मामला प्रकाश में आया है। छपारा पुलिस ने दो ट्रकों को पकड़ा लेकिन इस मामले में जिम्मेदार साफ तौर पर कुछ भी कहने से बचते ही दिखे।

छपारा पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि ट्रक क्रमाँक एमपी 09 एचजी 7084 एवं एमपी 28 एच 0542 को पुलिस के द्वारा जानकारी मिलने पर रोका गया था। वहीं, इस धान को लखनादौन के पास साजपानी ग्राम के बाबूलाल वेयर हाउस से लाया जाना बताया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि इस तरह की जानकारी मिली है कि साजपानी स्थित मार्केटिंग सोसायटी के द्वारा हाल ही में धान की खरीदी की गयी थी। धान परिवहन ठेकेदार को समिति के द्वारा धान को आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के लखनादौन के रानीताल स्थित गोदाम ले जाने के लिये पाबंद किया गया था।

सूत्रों ने बताया कि शिकायत करने वालों के अनुसार इस धान को वहाँ ले जाये जाने की बजाय किसी अन्य स्थान पर ले जाया जा रहा था, जिससे मामला उलझता दिख रहा है। पुलिस के द्वारा सूचना मिलने के बाद उक्त दोनों वाहनों को अपने कब्जे में ले लिया है।

बताया जाता है कि इस मामले में जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी का रवैया भी गोलमोल ही दिख रहा है। उनके द्वारा पहले पुलिस से यह बात कही गयी कि दोनों वाहनों को जहाँ के लिये रवाना किया गया था, वाहन वहीं जा रहे थे। इसके चलते वाहनों को थाने के बाहर खड़ा करवा दिया गया था।

इसके बाद जब आपूर्ति अधिकारी से पूछा गया तो उनके द्वारा बकायदा यू टर्न लेते हुए कह दिया गया कि इस मामले में ठेकेदार को नोटिस जारी किया जा रहा है। आपूर्ति अधिकारी के रवैये से ऐसा ही प्रतीत होता दिखा कि उनके द्वारा ठेकेदार को बचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है।

पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया कि इन वाहनों को छपारा से वापस लखनादौन की ओर रवाना किया गया है। सूत्रों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि आपूर्ति अधिकारी के द्वारा जब पुलिस को यह कहा गया कि वाहन वहीं जा रहे थे, जहाँ के लिये निकले थे, फिर उसके बाद इन वाहनों को वापस लखनादौन क्यों भेजा गया!

इधर, नागरिक आपूर्ति विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि इस तरह की गड़बड़ियां वर्षों से बदस्तूर जारी हैं। चूँकि अधिकारियों की शह पर इस काम को अंजाम दिया जाता है, इसलिये इस मामले में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है।

सूत्रों ने कहा कि सरकारी स्तर पर खरीदे गये अनाज को जान बूझकर सड़ाया भी जाता है ताकि सड़े अनाज की आड़ में इस तरह की गड़बड़ियों को आसानी से अंजाम दिया जा सके। हर साल लाखों रूपये का अनाज सड़ जाता है, इसकी जाँच भी होती है पर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही न होने के कारण अधिकारियों और ठेकेदारों के हौसले बुलंदी पर हैं।