पेंच कान्हा के अलावा अन्य स्थानों के बाघों का खैरख्वाह कौन!

 

 

मृत बाघ को जलाने की बजाय अवशेष रखे जाने चाहिये सुरक्षित!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। लखनादौन से नरसिंहपुर मार्ग पर हाल ही में मिले बाघ के शव के बाद यह चर्चा तेज हो गयी है कि राष्ट्रीय उद्यानों के अलावा अन्य स्थानों पर बाघों का रखवाला कौन है! क्या सिर्फ पेंच और कान्हा नेशनल पार्क के बाघों का ही संरक्षण वन विभाग के द्वारा किया जायेगा!

ज्ञातव्य है कि जिले में ही अनेक मामले ऐसे भी प्रकाश में आये हैं, जिनमें बाघों का शव पेंच नेशनल पार्क की सीमा के बाहर मिला है। इसका तात्पर्य यही है कि बाघ का निवास स्थान पेंच नेशनल पार्क के अलावा भी जिले के अन्य क्षेत्रों के जंगलों में हो सकता है। इन परिस्थितियों में उनके संरक्षण के लिये वन विभाग की क्या कार्ययोजना है!

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि दरअसल, वन विभाग द्वारा बाघ का ठौर (रहने का स्थान या टेरिटरी) सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रीय प्राणी उद्यानों की सीमा में माना जाता है। इस लिहाज़ से वन विभाग के द्वारा राष्ट्रीय प्राणी उद्यानों में बाघ संरक्षण पर जोर दिया जाकर लाखों करोड़ों रूपये उनके संरक्षण में खर्च किये जाते हैं।

उक्त अधिकारी का मानना था कि वन्य जीव अपनी सीमाओं को बांधते हैं जिनमें बाघ या तेंदुआ अपनी टेरिटरी बनाता है। पेंच नेशनल पार्क में जितने बाघ हैं उस हिसाब से पेंच नेशनल पार्क का कुल रकबा कम ही प्रतीत होता है, यही कारण है कि आपसी संघर्ष में वन्य जीवों विशेषकर बाघ या तेंदुए के काल कलवित होने की खबरें आम हुआ करती हैं।

उक्त अधिकारी ने कहा कि वन विभाग के द्वारा राष्ट्रीय प्राणी उद्यान क्षेत्र के बाहर के हिस्सों में भी बाघों की गणना करवायी जाना चाहिये, यद्यपि यह काम कठिन और समय लेने वाला है पर बाघ संरक्षण के लिये देश – प्रदेश की सरकारों के द्वारा जो काम किये जा रहे हैं उस लिहाज़ से यह काम जरूरी है कि यह पता भी लगाया जाये कि राष्ट्रीय प्राणी उद्यान के अलावा भी अन्य जंगलों में कितने बाघ हैं।

उन्होंने कहा कि आये दिन इस तरह की खबरें पढ़ने को मिलती हैं कि ग्रामीणों ने आबादी के पास बाघ की पदचाप सुनी या उसे देखा। ये क्षेत्र राष्ट्रीय प्राणी उद्यान की सीमा के बाहर या बहुत दूर के क्षेत्र हैं। इस लिहाज़ से यह माना जा सकता है कि अनेक बाघ या तेंदुओं ने अपना आवास नेशनल पार्क से दूर भी बनाया हुआ है, तब इन प्राणियों की गणना और इनके संरक्षण के प्रति सरकार उदासीन क्यों है!

उन्होंने आगे कहा कि बाघ या तेंदुए की मौत के बाद उसका शव परीक्षण कर उसके शव को जला दिया जाता है। इसकी बजाय सरकार को चाहिये कि वह इसके शव को संरक्षित करके रखे। इसके लिये पेंच नेशनल पार्क के तीनों प्रवेश द्वारों पर एक संग्रहालय बनवाया जाकर इन बाघों के इतिहास के साथ इनके संरक्षित शवों को रखा जा सकता है, जो पर्यटकों के लिये कौतूहल का विषय हो सकते हैं।

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