सिवनी में वैकल्पिक गेंद से ही क्रिकेट क्यों?

 

जिले में लेदर बॉल क्रिकेट न हो जाये इतिहास में शामिल!

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। जिला क्रिकेट संघ सिवनी की निष्क्रियता के चलते जिले भर में लेदर बॉल क्रिकेट के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। एक के बाद एक टेनिस बॉल क्रिकेट स्पर्धाओं के चलते अब यह प्रतीत होने लगा है कि कहीं आने वाले समय में लेदर बॉल क्रिकेट जो वास्तविक क्रिकेट है वह सिवनी के इतिहास में शामिल न हो जाये।

देखने वाली बात यह है कि सिवनी में क्रिकेट के अलावा अन्य किसी भी खेल के खिलाड़ियों या आयोजकों के द्वारा वैकल्पिक आयोजन नहीं किये जाते हैं। सिर्फ क्रिकेट में ही यह देखने को मिल रहा है कि कभी यहाँ टेनिस बॉल से प्रतियोगिताएं करायी जाती हैं तो कभी प्लास्टिक के अण्डेनुमा बॉल से। ऐसा लगता है कि सिवनी में क्रिकेट को मनोरंजन के नाम पर मजाक बनाकर रख दिया गया है।

क्रिकेट के जानकारों का कहना है कि टेनिस बॉल से आखिर क्रिकेट को कितना फायदा है सिवाय इसके कि टेनिस बॉल के माध्यम से ऊपर उठती हुई गेंद को खेलने का अच्छा खासा अभ्यास हो जाता है लेकिन क्या क्रिकेट के खेल में गेंदबाज के पास विविधताएं नहीं होती हैं जो एक ही तरह की गेंद का अभ्यास कराया जाता है। आखिर क्यों सिवनी में लेदर बॉल से प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं करायी जाती हैं? लगातार टेनिस बॉल से क्रिकेट के आयोजनों को देखकर क्रिकेट प्रेमियों को यह भी लगने लगा है कि संभव है कि लेदर बॉल से खेलने में कुछ खिलाड़ियों को डर लगता हो इसलिये वे झूठी बादशाहत के नाम पर टेनिस बॉल का ही सहारा लगातार लिये जा रहे हैं।

विचारणीय बात यह भी है कि वर्तमान में जो भी क्रिकेट प्रतियोगिताएं आयोजित करायी जाती हैं उनमें ज्यादातर के आयोजक ज्यादा उम्र के होते हैं। प्रतियोगिताएं भी वेटेरन्स की ही ज्यादा हो जातीं हैं जो अच्छी बात मानी जा सकती है। आयोजकों के द्वारा युवाओं को आगे बढ़ाने के लिये तवज्जो दी जाती हुई कतई नहीं दिखती है। ऐसे में क्रिकेट प्रेमियों का कहना है कि युवाओं को ही लेदर बॉल क्रिकेट को पुर्नजीवित करने के लिये आगे आना होगा। एक समय सिवनी में एक के बाद एक लेदर बॉल क्रिकेट प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती रहीं हैं और उनके आयोजक भी युवा ही होते थे लेकिन आज दृश्य बदला हुआ नज़र आ रहा है। युवा शांत बैठे हुए हैं जिसके कारण सिवनी में क्रिकेट का खेल अपने पुराने स्वरूप में नहीं लौट पा रहा है।

सिवनी में लगातार हो रहीं टेनिस बॉल क्रिकेट प्रतियोगिताओं को देखकर एक सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि क्या ऐसे आयोजन सिर्फ पैसा कमाने के लिये आयोजित कराये जाते हैं। क्रिकेट प्रतियोगिताओं में सबसे अहम खर्चा होता है गेंद का, क्योंकि लेदर बॉल के प्रत्येक मैच में कम से कम दो नयी गेंदे उपयोग में लायी ही जाती हैं, लेकिन टेनिस बॉल क्रिकेट में ऐसा आवश्यक नहीं होता और एक ही गेंद से कई मैच निपटाये जा सकते हैं।

टेनिस बॉल से क्रिकेट खेल-खेल कर सिवनी के उदीयमान खिलाड़ी आखिर ये कैसे सीखेंगे कि नयी गेंद का क्या महत्व है और पुरानी गेंद का क्या महत्व है। स्तरीय स्विंग करवाने वाले या स्पिनर निकलने की बात तो दूर की कौड़ी ही दिखने लगी है। कुल मिलाकर टेनिस बॉल क्रिकेट में एक गेंदबाज के पास सीखने के लिये कुछ भी ज्यादा नहीं रह जाता है। ऐसे में आखिर क्या मतलब रह जाता है टेनिस बॉल से प्रतियोगिताएं आयोजित कराने का?

क्रिकेट के जानकारों के अनुसार आज स्थिति यह है कि टेनिस बॉल से इतनी क्रिकेट होने के बाद भी कई खिलाड़ी तो पैड पहनकर ढंग से चल भी नहीं पायेंगे, दौड़ना तो दूर की बात है। सिवनी में क्रिकेट को इस स्तर तक पहुँचाने में टेनिस बॉल क्रिकेट का बहुत बड़ा हाथ है लेकिन उसके बाद भी टेनिस बॉल से परहेज नहीं किया जा रहा है। रही बात मैदान की कमी की तो पूर्व में भी सिवनी में ज्यादा मैदान नहीं थे लेकिन क्रिकेट का खेल अपने चरम पर हुआ करता था। समय के साथ इसके बढ़ने की बजाय लोगों को यह खेल सिवनी में गर्त में ही जाता दिख रहा है।

इस संबंध में लोगों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन सबके पीछे कारण खोजा जाये तो एक बात यह भी सामने आती है कि टेनिस बॉल क्रिकेट के ज्यादातर सूरमाओं को लेदर बॉल खेलने के नाम से ही डर सा लगता दिखता है और शायद यही कारण भी दिखता है कि वे अपना शौक भी पूरा करना चाहते हैं और सस्ते मनोरंजन के नाम पर पैसा भी बटोरना चाहते हैं।

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