छठ की पूजा आज से, तीन को होगा पारण

 

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। छठ की पूजा उत्तर भारत में मनाये जाने वाले कुछ सबसे बड़े पर्वों में से एक है। चार दिनों तक चलने वाली इस पूजा को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। छठ पूजा की शुरूआत गुरुवार से होगी जहाँ महिलाएं विधि विधान से पूजन, व्रत का पालन करते हुए छठ पूजन का समापन तीन नवंबर को अर्घ्य देकर समाप्त करेंगी।

रेखा जायसवाल, रश्मि तिवारी, माया साहू, प्रभा गावंडे आदि महिलाओं ने बताया कि व्रत की शुरुआत में गुरुवार को सबसे पहले नहाये – खाये से होगी। इस मौके पर घर की साफ – सफाई कर महिलाएं स्नान – ध्यान कर सात्विक भोजन ग्रहण करेंगी।इस दिन बिना लहसून प्याज का भोजन बनाया जाता है। वहीं इस दिन लौकी की सब्जी भोजन में जरूर ग्रहण करते हैं।

गुरुवार से व्रत की शुरूआत में भोजन के उपरान्त अगले दिन शुक्रवार एक नवंबर को खरना होगा। इस दिन महिलाएं बिना पानी के रहेंगी। शाम को स्नान करके सूर्य डूबने से पहले स्नान करेंगी, फिर गुड़ की खीर व पूरी बनायेंगी। प्रसाद चढ़ाकर सूर्य भगवान को प्रसाद चढ़ाकर एक बार उक्त प्रसाद को ग्रहण करेंगी।

छठ की पूजा दो नवंबर को : शनिवार दो नवंबर को महिलाएं पूरे दिन का उपवास रखेंगीं। दिन भर प्रसाद बनाकर सूप में सजाकर प्रसाद कर महिलाएं लखनवाड़ा स्थित बैनगंगा नदी पहुँचेंगीं। डूबते सूर्य को शनिवार को अर्घ्य देंगी। इसके बाद घर वापस लौटकर रात भर व्रत रखेंगी तथा इस व्रत में वे पानी भी ग्रहण नहीं करेंगीं।

रविवार तीन नवंबर को प्रातःकाल चार बजे लखनवाड़ा स्थित बैनगंगा नदी तट पहुँचेंगीं जहाँ ऊगते सूर्य की पूजा कर अर्घ्य देकर व्रत का पारण करेंगी। पं.राघवेन्द्र शास्त्री ने बताया कि छठ का मतलब छठवां या छठ होता है। छठ का ये त्यौहार कार्तिक पूर्णिमा के छठवें दिन मनाया जाता है इसलिये इस त्यौहार को लोग छठ बुलाते हैं। महिलाएं गुरुवार को नहाये – खाये, शुक्रवार को खरना, दो नवंबर को संध्या अर्घ्य और रविवार तीन नवंबर को ऊषा अर्घ्य और पारण किया जाता है।