जिंदगी का असल मतलब सिखाएगी ‘द स्काई इज पिंक’

 

 

 

 

अगर आपने यूट्यूब पर 18 साल की आयशा चौधरी का TED टॉक देखा है तो शायद आपको समझ आएगा कि फिल्म द स्काई इज पिंकक्यों डायरेक्टर शोनाली बोस के इतने करीब है।

प्रियंका चोपड़ा और फरहान अख्तर की फिल्म द स्काई इज पिंकआपको प्यार, परिवार, रिलेशन, लाइफ और मौत के सफर पर लेकर जाएगी। ये एक ऐसी स्टोरी है जिसका आप आसानी से चित्रण कर पाएंगे। बस फर्क इतना है कि शोनाली बोस की ये फिल्म आपका दिल जीत लेगी। जिस तरह से उन्होंने इस फिल्म में इमोशन डाले हैं वह काबिले-तारीफ है। फिल्म ऐसी है कि ये आपको हंसाएगी भी और रुलाएगी भी।

फिल्म की कहानी

फिल्म एक लड़की और उसके परिवार की कहानी है। लड़की है आयशा चौधरी जिसका किरदार जायरा वसीम ने निभाया है। ये पैदा होते के साथ ही एससीआईडी यानी सिवियर कम्बाइन्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही होती हैं। इसका मतलब है कि आयशा चौधरी की बॉडी में इम्यून सिस्टम होता ही नहीं है जिसके चलते वे तेजी से एलर्जी पकड़ लेती हैं और भीड़-भाड़ वाली जगह पर नहीं आ-जा सकती हैं। एक ऐसी बीमारी जो तेजी से इंफेक्शन पकड़ती है। आयशा चौधरी को आगे जाकर पल्मोनरी फाइब्रोसिस नाम की फेफड़ों की बीमारी भी हो जाती है जो कि लाइलाज है।

फिल्म शुरू होती है आयशा (जायरा वसीम) की आवाज से जो सोचती है कि मर जाना ओके है। बल्कि कूलहै क्योंकि आपको मरने से बचाना किसी के हाथ में नहीं होता, यहां तक की डॉक्टर के हाथ में भी नहीं। इसके बाद आयशा हमें अपने माता-पिता की उस प्रेम कहानी की ओर लेकर जाती है जो दिलचस्प होती है। जायरा वसीम की मां का किरदार अदिति (प्रियंका चोपड़ा) और पिता का किरदार निरेन (फरहान अख्तर) ने निभाया है। इनकी लव स्टोरी से लेकर शादी, माता-पिता बनने और सेक्स लाइफ तक के बारे में आप जायरा वसीम को बताते देखेंगे।

आधे घंटे में ही आपको पता चल जाएगा कि अदिति और निरेन (मूज और पैंडा) अपने पहले बच्चे तान्या को एससीआईडी की वजह से खो चुके होते हैं जो कि एक बहुत ही रेअर बीमारी होती है। दूसरे बच्चे इशान (रोहित सराफ) को ये जेनेटिक बीमारी नहीं होती है लेकिन तीसरे बच्चे यानी आयशा को ये बीमारी हो जाती है। हालांकि, आपको ये भी पता चल जाता है कि आयशा की मौत हो जाती है लेकिन बैकग्राउंड में चल रही स्टोरी आपको अपनी ओर आकर्षित करेगी।

एक्टिंग की अगर बात करें तो इसमें रोहित सराफ को बेशक कम स्क्रीन स्पेस मिला हो लेकिन एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीतेंगे। जायरा वसीम यानी आयशा के किरदार को कई लेयर के साथ दिखाया गया है जिसे जिंदगी से कोई शिकायत नहीं होती।

प्रियंका चोपड़ा ने इस फिल्म से बॉलीवुड में कमबैक किया है। इनका किरदार काफी अच्छा और इमोशनल दिखाया गया है जो बहादुर और जिद्दी होती है और आगे जाकर कभी हार न मानने वाली मां बनती है।

सेकेंड हाफ की अगर बात करें तो वह पूरी तरह से आयशा के इलाज पर दिखाया गया है। जिसमें उसके माता-पिता उसे बचाने के लिए पूरी जान लगा देते हैं। और फिर भी उसे नहीं बचा पाते। आयशा की आखिरी सांस तक उसके दादा-दादी उसके पास नहीं होते और घर पर रहने के बावजूद उसे ठीक तरह से इलाज क्यों नहीं मिल पाता ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो आपके दिमाग में आएंगे और इनका जवाब भी आप फिल्म में ढूंढ़ नहीं पाएंगे।

(साई फीचर्स)

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