शादीशुदा लाइफ को बर्बाद कर देती है बस एक ‘थप्पड़’

 

कास्ट: तापसी पन्नू, पावेल गुलाटी, कुमुद मिश्रा, रत्ना पाठक शाह, तन्वी आज़मी

निर्देशक: अनुभव सिन्हा 

कहानी-

हैप्पी मैरिड लाइफ में कब धीरे-धीरे परेशानियां सामने आ जाने लगती है, कैसे एक परिवार में लिंग भेदभाव और हंसी-मजाक में घरेलू हिंसा की शुरुआत होने लगती है। इसका अंदाजा उस शादीशुदा कपल और परिवार को तब लगता है जब सिर से पानी उपर निकल चुका होता है। जब किसी गलत बात इग्नोर करने के बाद  एक महिला अपना आत्मसम्मान खोजने के लिए अपने आपको झकझोरने लगती है तब उसे पता चलता है कि वह समाज के लिए बस एक बेचारी औरत है जिसका केवल एक ही मतलब है पति, परिवार के लिए सब कुछ दांव पर लगा देना। कुछ ऐसी ही कहानी अमृता यानी तापसी पन्नू की है।

हंसती-खेलती अमृता (तापसी पन्नू) और विक्रम (पावेल गुलाटी) की शादीशुदा जिंदगी भी कुछ ऐसे ही है। अमृता अपनी शादीशुदा जिंदगी से बहुत खुश है। विक्रम बहुत महत्वाकांक्षी है, जिसका नाम कॉर्पोरेट जगत में एक सक्सेफुल मैन के रूप में लिया जाता है। वहीं  अमृता अपने पति की सफलता और एक होममेकर होकर भी सभी की खुशियों की में खुश है। एक साधारण लाइफ और मामूली चाहत रखने वाली अमृता हमेशा अपने पति को आदर और सम्मान देती है। वह अपने पति और परिवार के लिए एक आदर्श बहू-बेटी और वाइफ है। अमृता को भी अपने पति से यही आशा है कि उसका पति उसे सबसे ज्यादा प्यार और सम्मान देने वाला इंसान है। लेकिन उसका यह भ्रम एक पार्टी के दौरान टूट कर बिखर जाता है।

दरअलस, अमृता की दुनिया उस समय बुरी तरह से लड़खड़ा जाती है जब उसका महत्वाकांक्षी पति एक पार्टी में लोगों के सामने उसके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारता है। भरी महफिल में जब पति के थप्पड़ से उसको वो सब याद आ जाता है जिसे वह घर चलाने और रिश्ता निभाते समय इग्नोर कर रही थीं। पति के एक थप्पड़ से वह आत्मग्लानी में डूब जाती है और अपना स्वाभिमान खोजने लगती है। वह क्या है? इन्हीं सब कसमस वह  पत्नी सबके खिलाफ जाकर पति से तलाक लेती है और अपने आत्म सम्मान के लिए खड़ी होती है। इसके बाद अमृता पुरुष और स्त्री के रिश्ते पर फिल्म थप्पड़सवाल उठाती है। क्या दोनों के बीच बराबरी का रिश्ता है? जब अमृता अपने पति से लड़ने का फैसला लेती है तो वह अपने आसपास की दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित करती है कि वह भी बदलाव के लिए पहल करें। पति से तलाक देने के दौरान अमृता के उपर क्या गुजरती है और उसे समाज में किन किन परेशानियों का सामने करना पड़ता है। इन सभी बिन्दुओं को देखने आपको सिनेमा घर जाना पड़ेगा। 

एक्टिंग-निर्देशन और डायलॉग्स-म्यूजिक

तापसी पन्नू इस फिल्म में पत्नी का किरदार निभा रही हैं, वह आम औरत की तरह घर-परिवार व पति के लिए सब कुछ करती नजर आ रही हैं। फिल्म में तापसी ही इस फिल्म का कहानी की जान है। उनकी एक्टिंग और उनका एक्सप्रेशन हर समय शानदार लगता है। इस फिल्म में नायिका के रूप मे तापसी को देखकर आपकी निगाहें उन पर ठहरी हुई नजर आएंगी। उसने मुझे मारा पहली बार… नहीं मार सकता, बस इतनी सी बात हैये फिल्म का डायलॉग नहीं बल्कि फिल्म का सारांश है। इस डायलॉग को जिस अंदाज में तापसी पन्नू कहती है वह भाव देखने वाला है। इसके बाद एक डायलॉग और है जो फिल्म में जान डाल दी। वह इस प्रकार है- वो चीज जिसे जोड़ना पड़े मतलब वह टूटी हुई है। फिल्म में पावेल गुलाटी, कुमुद मिश्रा, रत्ना पाठक शाह, तन्वी आज़मी की एक्टिंग शानदार है। सभी पात्रों ने अपने रोल पर फिट और न्याय करते हुए दिख रहे हैं। 

फिल्म थप्पड़ के माध्यम से अनुभव सिन्हा समाज पर एक करारा थप्पड़ जड़ते हुए दिख रहे हैं। अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी थप्पड़ एक महिला केंद्रित फिल्म है। घरेलू हिंसा की शुरुआत कैसे होती है यह फिल्म में बखूबी दिखाया गया है जो सच में तारीफ के काबिल हैं। यह फिल्म लिंग भेदभाव हिंसा के खिलाफ है।

(साई फीचर्स)