मस्ट वॉच फिल्म है ‘द लायन किंग’

 

 

 

 

जंगल के राजा मुफासा और युवराज सिम्बा की कहानी दि लायन किंगएक दफा फिर हमारे सामने है। जहां साल 1994 में यह एनिमेशन फिल्म की शक्ल में हमसे रूबरू हुई थी, वहीं इस बार इसका फोटोरियलिस्टिक कम्प्यूटर एनिमेटेड संस्करण हमारे सामने है। जहां फिल्म में इस्तेमाल लाइव एक्शन तकनीक दर्शकों को बांधे रहती है, वहीं शाहरुख खान का वॉइस ओवर भी फिल्म की जान है। हालांकि फिल्म की कुछ कमियां भी हैं, जिसके चलते यह दि जंगल बुक’ (वॉल्ट डिज्नी वाली) जैसी कसी हुई फिल्मों की श्रेणी में जाते-जाते रह जाती  है।

मुफासा एक ऐसा राजा है, जिसे जंगल के सभी जानवर दिल से चाहते हैं। वह चाहता है कि अगला राजा उसका बेटा सिम्बा बने, पर उसके भाई स्कार शेर का मानना है कि राजा के पद का हकदार वह है। उधर सिम्बा अपनी बहादुरी साबित करने के लिए अपनी दोस्त नाला के साथ नए-नए कारनामे करता रहता है। इस बीच एक दुर्घटना में मुफासा की जान चली जाती है। सिम्बा जंगल से भाग जाता है। एक नई जगह पर वह पम्बा जंगली सुअर और टिमन नेवले से मिलता है। ये दोनों सिम्बा को अपने फलसफे हकूना मटाटाके बारे में बताते हैं। हकूना मटाटायानी तनाव भुलाकर हर वक्त मस्ती में रहने वाला अंदाज। नन्हा सिम्बा इन नए दोस्तों की सोहबत में आकर मांस की जगह कीड़े-मकौड़ों से पेट भरना सीख जाता है। इलाके के शाकाहारी जानवर पहले तो इलाके में एक शेर के बच्चे को देखकर घबराते हैं, पर जब उन्हें पता लगता है कि वह पम्बा और टिमन के रंग में रंग चुका है, तो वे उससे डरना बंद कर देते हैं। उधर सिम्बा की मां सराबी शेरनी, उसकी बचपन की दोस्त नाला शेरनी और बाकी जानवर, सिम्बा के चाचा स्कार के आतंक से परेशान हैं। अब क्या सिम्बा हालात बदलने के लिए कुछ करेगा या अपनी हकूना मटाटाकी माला जपता रहेगा? यह जानने के लिए फिल्म देखना ही बेहतर होगा।  

मुफासा के वॉइस ओवर में शाहरुख खान की आवाज सुनते ही लगता है, यह रुआब किसी बादशाह की आवाज में ही हो सकता है। उन्हें किंगखान यूं ही नहीं कहा जाता। वहीं सिम्बा के किरदार में शाहरुख के साहबजादे आर्यन खान की आवाज में एक ताजगी है। हालांकि इस किरदार के लिए जिस स्तर की ऊर्जा और उत्साह की दरकार थी, वह आर्यन की आवाज में नहीं महसूस होती। इसके अलावा फिल्म में संजय मिश्रा, असरानी, आशीष विद्यार्थी और श्रेयस तलपड़े की आवाजें भी हैं। नन्हे सिम्बा के वॉइसओवर के लिए बाल कलाकार की आवाज खूब गुदगुदाती है और दिल में उतरती है। लकड़बग्घों के समूह का ठेठ बिहारी लहजे में बात करने वाले दृश्य बेहद मनोरंजक हैं। थ्री-डी इफेक्ट हालांकि बहुत नहीं हैं, पर जितने भी हैं, प्रभावी हैं।

फिल्म में कुछ कमियां भी हैं, जिनमें सबसे बड़ी कमी है, मुख्य किरदार सिम्बा। नन्हे सिम्बा का किरदार प्रभावित करता है, पर वयस्क हो जाने के बाद उसका उत्साह, ऊर्जा और चपलता जाने कहां गायब हो जाती है। अपनी जिंदगी के ज्यादातर फैसलों के लिए वह दूसरों पर निर्भर रहता है- कभी अपने बाबा पर, कभी अपने दोस्तों पम्बा और टिमन पर। यह एक म्यूजिकल फिल्म है, जिसके किरदारों को गुनगुनाते देखकर बच्चों को मजा आएगा।

(साई फीचर्स)