(ब्यूरो कार्यालय)
लखनऊ (साई)। उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्ता की अध्यक्षता में आज लखनऊ में एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में गो संवर्धन और गो-आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर गहन विचार-विमर्श किया गया। बैठक में विशेष रूप से हरा चारा, बायोगैस ऊर्जा और पंचगव्य उत्पादों पर सदस्यों और विशेषज्ञों ने मंथन किया।
अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्ता ने इस अवसर पर कहा, “गोशालाएं उत्पादन, पोषण और आत्मनिर्भरता का केंद्र बनें तो यह गोवंश के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण ग्रामीण भारत के पुनर्जागरण की दिशा में एक क्रांति होगी।”
हरे चारे की उपलब्धता पर जोर
अध्यक्ष पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि हरे चारे की उपलब्धता गो-सेवा की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि बिना पोषक आहार के गोवंश का संरक्षण केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगा। बैठक में यह मानक निर्धारित किया गया कि 100 गोवंशों के लिए न्यूनतम 10 एकड़ चरागाह भूमि की आवश्यकता होगी, जिससे प्रत्येक गोवंश को प्रतिदिन औसतन 5 किलो हरा चारा मिल सके। नेपियर घास, ज्वार, मक्का, सुबबुल, ढेंचा, और सहजन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर हरे चारे की बुवाई की जाएगी।
हरे चारे की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आईजीएफआरआई झांसी में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिससे गोशालाओं को वैज्ञानिक और व्यावहारिक जानकारी मिल सके। इसके अतिरिक्त, बैठक में फोडर बैंक की अवधारणा पर भी विचार किया गया, जिसमें आस-पास की गोशालाओं के लिए हरा चारा संचय किया जाएगा और मौसम के अनुसार उसकी आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
ऊर्जा उत्पादन और पंचगव्य उत्पादों को बढ़ावा
अध्यक्ष ने पूर्व में भी कहा है कि गोशालाओं को केवल आश्रय स्थल नहीं, बल्कि ऊर्जा उत्पादन केंद्रों के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। इसी क्रम में बैठक में यह निर्णय लिया गया कि गोबर आधारित बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के लिए सीएसआर फंडिंग और जिलास्तरीय सहयोग प्राप्त करने हेतु प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। इससे न केवल स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन संभव होगा, बल्कि गोशालाएं आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
इसके साथ ही, पंचगव्य से निर्मित औषधीय, कृषि और घरेलू उत्पादों के व्यापक उपयोग और प्रसार को लेकर बैठक में विशेष बल दिया गया। यह तय किया गया कि पंजीकृत गोशालाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा और उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं को बाजार तक पहुंचाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा, जिसमें निर्माण, गुणवत्ता नियंत्रण, ब्रांडिंग और विपणन को शामिल किया जाएगा।
विशेषज्ञों का योगदान
इस कार्यक्रम की संयोजिका सुश्री मीना शुक्ला रहीं, जिन्हें माननीय मुख्यमंत्री द्वारा प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में उनके अनूठे योगदान के लिए सम्मानित किया जा चुका है। वे गोरखपुर में प्राकृतिक खेती, औषधीय पौधों की जैविक खेती, जीरो बजट व रसायन-मुक्त कृषि परियोजनाओं का संचालन कर रही हैं। विगत 10 वर्षों से ग्रामीण किसानों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु उनका प्रयास सराहनीय रहा है। उनके अनुभवों एवं सुझावों से बैठक को महत्वपूर्ण दिशा मिली।
साथ ही, श्री सुरेंद्र, अध्यक्ष, मॉडल बायोगैस समूह एवं प्राचीन कुटीर उद्योग, नटकुर, लखनऊ, ने भी बैठक में भाग लिया। वे विगत 18 वर्षों से गोबर आधारित बायोगैस संयंत्रों की स्थापना में कार्यरत हैं और विभिन्न जनपदों में प्रशिक्षण कार्य कर चुके हैं। उन्होंने आईसीएआर के माध्यम से युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान कर ऊर्जा स्वावलंबन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
इस बैठक में गोशालाओं के प्रबंधकों और आयोग के सदस्यों ने भाग लिया।

हर्ष वर्धन वर्मा का नाम टीकमगढ़ जिले में जाना पहचाना है. पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबे समय तक सक्रिय रहने के बाद एक बार फिर पत्रकारिता में सक्रियता बना रहे हैं हर्ष वर्धन वर्मा . . .
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