(ब्यूरो कार्यालय)
लखनऊ (साई)। भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) सम-विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्रों को पदक और उपाधि प्रदान की। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे। राष्ट्रपति ने प्रोफेसर प्रदीप कुमार जोशी और डॉ. मांगी लाल जाट को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया, जबकि डॉ. राजकुमार पटेल, डॉ. मेघा शर्मा, डॉ. नवजोत सिंह ठाकुर और डॉ. खुशबू चौधरी को स्वर्ण पदक और उपाधि प्रदान की गई।
आईवीआरआई की उपलब्धियां और भविष्य की दिशा
राष्ट्रपति ने समारोह को संबोधित करते हुए पशु स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़े इस ऐतिहासिक संस्थान में उपस्थित होकर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि 1889 में पशुओं के प्लेग के नाम से जानी जाने वाली रिंडरपेस्ट महामारी की रोकथाम के लिए स्थापित इस संस्थान ने 135 से अधिक वर्षों की अपनी यात्रा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। यहां के वैज्ञानिकों के शोध कार्यों का प्रमाण संस्थान के नाम दर्ज पेटेंट, डिजाइन और कॉपीराइट हैं।
राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि ‘प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर‘ (रोकथाम इलाज से बेहतर है) की कहावत पशुओं के स्वास्थ्य पर भी पूरी तरह लागू होती है। उन्होंने कहा कि बीमारियों की रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है और यह गर्व का विषय है कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अनेक टीके यहीं विकसित किए गए हैं।
उन्होंने ‘ईशा वास्यम् इदं सर्वम्‘ के जीवन मूल्य पर आधारित भारतीय संस्कृति का उल्लेख किया, जो सभी जीव-जंतुओं में ईश्वर की उपस्थिति देखती है। राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के मन में बेजुबान पशुओं के कल्याण की भावना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पशु और मानव का एक परिवार का रिश्ता है, और तकनीकी के युग से पहले पशु ही लोगों का साधन और किसानों का बल हुआ करते थे।
जैव विविधता और पशु संरक्षण का महत्व
राष्ट्रपति ने कहा कि विभिन्न प्राणियों के संवर्धन से जैव विविधता बढ़ेगी, जिससे धरती और मानव जाति खुशहाल होगी। उन्होंने गिद्धों के विलुप्त होने का उदाहरण देते हुए कहा कि यह जैव विविधता के क्षरण का एक उदाहरण है, और पशु चिकित्सा में उपयोग होने वाली रासायनिक दवाओं की भूमिका को इसके कारणों में से एक माना जाता है। उन्होंने ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाने को गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम बताया। उन्होंने आईवीआरआई से जैव विविधता की वृद्धि में अग्रणी भूमिका निभाने और आदर्श प्रस्तुत करने का आह्वान किया।
आज पदक प्राप्त करने वालों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर राष्ट्रपति ने गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बेटियां आज अन्य क्षेत्रों की तरह पशु चिकित्सा क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, जो एक शुभ संकेत है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उन्होंने निरीह और बेजुबान पशुओं के चिकित्सा और कल्याण क्षेत्र को अपने करियर के रूप में चुना है, जो ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः‘ की भारतीय सोच का परिणाम है।
उद्यमिता और तकनीकी नवाचार का आह्वान
राष्ट्रपति ने बताया कि पशु विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान में ‘पशु विज्ञान इन्क्यूबेटर‘ कार्यरत है। उन्होंने विद्यार्थियों से इस सुविधा का लाभ उठाकर अपने उद्यम स्थापित करने का आग्रह किया, जिससे वे जरूरतमंदों को रोजगार दे पाएंगे और देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान देंगे।
उन्होंने ‘वन हेल्थ‘ अवधारणा के महत्व पर जोर दिया, जिसके तहत मानव, घरेलू और जंगली जानवर, वनस्पति और व्यापक पर्यावरण सभी एक-दूसरे पर आश्रित हैं। उन्होंने कहा कि एक प्रमुख पशु चिकित्सा संस्थान के रूप में आईवीआरआई विशेष रूप से जेनेटिक बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
राष्ट्रपति ने कोरोना महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि इसने मानव जाति को आगाह किया है कि उपभोग पर आधारित संस्कृति न केवल मानव जाति, बल्कि अन्य जीव-जंतुओं और पर्यावरण को भी अकल्पनीय क्षति पहुंचा सकती है। उन्होंने पशु कल्याण के लिए नियमित रूप से पशु आरोग्य मेलों के आयोजन का सुझाव दिया, जिससे गांव-गांव में कैंप लगाकर पशुओं की चिकित्सा हो सकेगी और समाज भी स्वस्थ रहेगा।
उन्होंने तकनीकी के प्रयोग से देश भर के पशु चिकित्सालयों को सशक्त बनाने की बात कही। उन्होंने जीनोम एडिटिंग, एम्ब्रयो ट्रांसफर टेक्नोलॉजीज, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डाटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिकतम तकनीकों का उपयोग कर आईवीआरआई जैसे संस्थानों को पशु रोगों के निदान एवं उनका पोषण उपलब्ध कराने के स्वदेशी एवं सस्ते उपाय जुटाने का आह्वान किया। साथ ही, उन दवाओं के विकल्प भी तलाशने चाहिए, जिनके साइडइफेक्ट न केवल पशुओं बल्कि मनुष्य एवं पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री का संबोधन
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हमें प्रयास करना चाहिए कि सभी विश्वविद्यालयों में शोध और क्वालिटी एजुकेशन हो तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इंप्लीमेंटेशन हो। उन्होंने अयोध्या स्थित नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा नैक में ‘A++’ श्रेणी प्राप्त करने का उल्लेख किया, जो पूरे भारत में प्रथम स्थान पर है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाथ नगरी बरेली में राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि यह भारत की पौराणिक नगरी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा यहां पर नाथ कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है, जिसमें देवाधिदेव महादेव के सात प्राचीन मंदिर शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आईवीआरआई द्वारा किए गए शोध एवं कार्यों के माध्यम से मूक पशु को नया जीवन मिलता है। उन्होंने बताया कि आईवीआरआई ने कोविड महामारी के दौरान मनुष्य के जीवन को भी बचाने में पूर्ण सहयोग दिया था और कोविड-19 की 02 लाख से अधिक जांच करने में बड़ी भूमिका का निर्वहन किया था। उन्होंने यह भी कहा कि आईवीआरआई ने गौवंश की लम्पी स्किन डिजीज का टीका विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे इस रोग को नियंत्रित करने में सफलता मिली। उन्होंने कहा कि आईवीआरआई ने मूक पशुओं को जीवन प्रदान करने के साथ अन्नदाता किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम किया है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री का वक्तव्य
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान भारत का सबसे प्रतिष्ठित पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान भारत की ग्रामीण जीवन शैली, पशु पालन संस्कृति और वैज्ञानिक उन्नति का आधार है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह समारोह केवल डिग्री प्राप्त करने का अवसर नहीं है, बल्कि यह देश सेवा के लिए एक नया उत्तरदायित्व है।
इस अवसर पर झारखंड के राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री भागीरथ चौधरी, केंद्रीय कृषि अनुसंधान और शिक्षा सचिव श्री मांगी लाल जाट, निदेशक और उप कुलपति आईसीएआर-आईवीआरआई श्री त्रिवेणी दत्त सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा आईवीआरआई के शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

हर्ष वर्धन वर्मा का नाम टीकमगढ़ जिले में जाना पहचाना है. पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबे समय तक सक्रिय रहने के बाद एक बार फिर पत्रकारिता में सक्रियता बना रहे हैं हर्ष वर्धन वर्मा . . .
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