मुख्यमंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों को किया सम्मानित : ‘विकसित कृषि-विकसित उत्तर प्रदेश / 2047’ पर जोर

(मणिका सोनल)

लखनऊ (साई)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के 36वें स्थापना दिवस पर आयोजित कृषि वैज्ञानिक सम्मान समारोहको संबोधित किया।

इस अवसर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश कृषि वैज्ञानिक सम्मान योजना वर्ष 2023-24 और 2024-25 के तहत चयनित वैज्ञानिकों और कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (उपास) के वर्ष 2024 के अवार्ड एवं फेलो भी प्रदान किए।

कार्यक्रम में विकसित कृषि-विकसित उत्तर प्रदेश / 2047विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन हुआ और उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद का गीत भी लॉन्च किया गया। मुख्यमंत्री ने उपकार की विभिन्न तकनीकी पुस्तिकाओं, जैसे बदलते जलवायु परिदृश्य में श्रीअन्न का उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन हेतु अभिनव दृष्टिकोणऔर गौ-आधारित प्राकृतिक खेती सतत् कृषि के लिए वरदान‘, ‘उपकार समाचार‘ (न्यूज लेटर) तथा भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की पत्रिका इक्षुका विमोचन भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें विकसित उत्तर प्रदेश बनाना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब भारत 2047 में 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा, तब उत्तर प्रदेश की जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में क्या स्थिति होगी, इसके लिए प्रदेश सरकार एक व्यापक कार्ययोजना पर काम कर रही है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा का प्रदेश है, जहां विशाल उपजाऊ कृषि भूमि और पर्याप्त जल संसाधन हैं। प्रदेश में वर्तमान में 04 कृषि विश्वविद्यालय संचालित हैं और पांचवां कृषि विश्वविद्यालय स्थापित हो रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की समतल और उर्वर भूमि तथा पर्याप्त जल संसाधनों को देखते हुए तीन गुना अधिक उत्पादन लिया जा सकता है, जिसके लिए कृषि शोध और विकास को पूरी प्रतिबद्धता से आगे बढ़ाना होगा।

उन्होंने कृषि, हार्टिकल्चर, वेजिटेबल, पशुपालन और डेयरी जैसे कृषि से जुड़े सभी क्षेत्रों को एक साथ आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शोध कार्य क्लाइमेटिक जोन और पर्यावरण के अनुरूप होने चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किसानों तक नवीनतम कृषि तकनीकों और शोध कार्यों का लाभ पहुंचाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान में केवल 25 से 30 प्रतिशत किसान ही वैज्ञानिक शोधों को प्रभावी ढंग से अपनी खेती में लागू कर पा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में देश की 16 प्रतिशत आबादी निवास करती है और देश की कुल कृषि योग्य भूमि का केवल 11 प्रतिशत होने के बावजूद, प्रदेश 20 प्रतिशत से अधिक खाद्यान्न का उत्पादन करता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का उल्लेख करते हुए किसानों को नई किस्मों और बुवाई के तरीकों के बारे में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 80 प्रतिशत से अधिक भूमि सिंचित हुई है और किसानों की समृद्धि बढ़ाने के लिए त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम तथा बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।

श्वेता यादव

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