एक आतंकी की मौत

 

 

आतंकी आंदोलन का एक ऐसा संस्थापक और प्रेरक, जो सिर्फ आतंक फैलाने में लगा रहता था। नरसंहार का सहारा लेता था। एक स्वघोषित खलीफा की तरह व्यवहार करता था। क्रूरता करता था और उसकी वीडियो जारी करता था। ऐसा आतंकी सरगना अल-बगदादी अमेरिकी सैन्य हमले में ठीक उसी तरह से मारा गया है, जैसे आठ वर्ष पूर्व ओसामा बिन लादेन मारा गया था। लादेन की हत्या के साथ राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा किया गया वह वादा पूरा हुआ था, जो उन्होंने 11 सितंबर, 2001 को आतंकी हमले के बाद किया था। बुश ने कहा था, हम आतंकवादियों को ठिकाने लगा देंगे। चाहे वे किसी भी गुफा में छिप जाएं, हम उन्हें पकड़कर न्याय करेंगे।

इस बीच यह बात गौरतलब है कि आतंकवादी नेताओं पर व्यक्तिगत रूप से शिकंजा कसना असाधारण रूप से कठिन साबित हुआ है। वास्तव में बिन लादेन का डिप्टी अल-जवाहरी अभी भी गिरफ्त से दूर है। लेकिन यह अच्छी बात है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की अथक मेहनत की बदौलत दुनिया में कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां आतंकवादी हमेशा के लिए जा छिपें। अल-बगदादी बहुत घाघ था। आतंकी गुलामी के पक्षधर बगदादी को जॉर्डन के जेहादी आतंकी अबु मुसब अल-जरगावी ने आगे बढ़ाया था। बगदादी खुद को खलीफा बताता था और दुनिया के तमाम मुसलमानों से कहता था कि वे उसका अनुसरण करें।

इस्लाम की अपनी व्याख्या के तहत उसके लड़ाकों ने खूब नरसंहार किए। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, उत्तरी इराक में यजीदी धार्मिक अल्पसंख्यकों को हजारों की संख्या में गुलाम बनाया गया। इस्लामिक स्टेट, यानी आईएस के हमलों में हजारों बेगुनाह लोग मारे जा चुके हैं। इसकी खूनी विचारधारा अमेरिका तक फैल गई, जहां उससे दुष्प्रेरित कुछ हत्यारों ने नरसंहारों को अंजाम दिया। बगदादी ने इंटरनेट के दौर में आतंकवाद फैलाने के तरीकों को विकसित कर लिया था, जिसके कारण अनेक पत्रकारों की भी हत्या हुई। लेकिन आईएस के 30,000 तक हत्यारे अभी भी शिकंजे से दूर हैं। लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, इसके बावजूद बगदादी की मौत बर्बरता पर सभ्यता की जीत है। (यूएसए टुडे, अमेरिका से साभार)

(साई फीचर्स)

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