एक ऐसे दौर में, जब मिस्र से लेकर चीन तक सत्ता पर दबंग शासकों का नियंत्रण है, वैश्विक फलक पर किसी ऐसे नेता को उभरते हुए देखना सुखद है, जो अपने नायकत्व की ठसक के साथ काम करने की इच्छा नहीं रखता, बल्कि अपनी विनम्रता से सबको कायल कर रहा है। बीते सोमवार को व्लोदिमीर जेलेंस्की ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पद की शपथ ली, और उनके शुरुआती आग्रहों में एक अनुरोध उन्हें सभी राजनेताओं से अलग कर देता है। उन्होंने कहा कि सरकारी दफ्तरों में उनकी तस्वीर न टांगी जाए। दो बच्चों के पिता जेलेंस्की ने यूक्रेनी अवाम से मुखातिब होते हुए कहा, राष्ट्रपति न कोई आइकन होता है और न ही कोई बुत। दीवार पर अपने बच्चों की तस्वीर टांगिए और हरेक फैसले से पहले उनकी आंखों में देखिए।
एक टीवी शो में विनम्र व मजाहिया स्कूल शिक्षक से राष्ट्रपति पद तक का सफर तय करने वाली अपनी भूमिका की अपार लोकप्रियता पर सवार होकर जेलेंस्की ने राष्ट्रपति चुनाव में जबर्दस्त कामयाबी हासिल की। लेकिन यूक्रेनी सदर के असली किरदार में भी उन्होंने अपनी विनम्रता का दामन नहीं झटका और शपथ ग्रहण के लिए जाते वक्त सैन्य सलामी लेने से इनकार कर दिया। यूरोप के सबसे गरीब मुल्कों में एक यूक्रेन की कुलीन परंपराओं को उन्होंने नकार दिया है। जेलेंस्की का कहना है, जो लोग जनता की सेवा कर सकते हैं, उन्हें सत्ता में आना चाहिए।
जेलेंस्की निजी सत्ता, गोपनीयता और गैर-जिम्मेदारी का किस हद तक विरोध कर पाते हैं, इसे अभी देखना बाकी है। उन्होंने अपने देश की जनता से वादा किया है कि वह बात कम, काम ज्यादा करेंगे और देश में पैठी भ्रष्टाचार की जड़ों और यूक्रेन के हिस्सों को रूसी कब्जे से मुक्त कराएंगे। इसके लिए उन्हें कठोर फैसले करने पड़े़ंगे। विनम्रता को आसानी से उनकी कमजोरी माना जा सकता है। फिर भी, खुलेपन, श्रेय लेने से परहेज बरतकर, अपने कृत्यों के प्रति सजग रहकर और विनम्रता के जरिए काफी कुछ सीखा जा सकता है। बहरहाल, तानाशाही के साये में जी रही एशियाई जनता ने जेलेंस्की की इस विनम्रता की भरपूर सराहना की है। (द क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर, अमेरिका से साभार)
(साई फीचर्स)