एक समय की बात है। रेगिस्तान के किनारे स्थित एक गाँव में एक व्यापारी रहता था। वह ऊँटों का व्यापार करता था। वह
प्रेरक प्रसंग
तीन पुतले
महाराजा चन्द्रगुप्त का दरबार लगा हुआ था। सभी सभासद अपनी अपनी जगह पर विराजमान थे। महामन्त्री चाणक्य दरबार की कार्यवाही कर रहे थे। महाराजा
हृदय की इच्छाएं शांत नहीं होती हैं…. क्यों ?
एक राजमहल के द्वार पर बड़ी भीड़ लगी थी। किसी फकीर ने सम्राट से भिक्षा मांगी थी सम्राट ने उससे कहा,”जो भी चाहते हो,
तनाव मुक्त कैसे रहे ?
मेडिटेशन: कोशिश करिए रोज 10 मिनट मेडिटेशन करने की। गहरी सांस लें: हमेशा गहरी और धीमी सांस लें ये आपके शरीर में ऑक्सीजन के
विजय कैसे प्राप्त करें ?
एक समय बात है एक तालाब में बहुत सारे मेंढक रहते थे। सरोवर के बीचों बीच एक बहुत पुराना का खम्भा भी लगा हुआ
अपना काम स्वयं करो
एक दिन एक नवयुवक कोलकाता स्टेशन पर गाड़ी से उतरा और कुली-कुली पुकारने लगा। यद्यपि उसके पास इतना सामान था कि वह उसे स्वयं
अभ्यास से सफलता
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान ।। बचपन में यह दोहा सुना था। उसके पीछे
‘संघर्ष का महत्व’
एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया। कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए
‘जीवन और समस्याएं’
किसी शहर में, एक आदमी प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था। वो अपनी ज़िन्दगी से खुश नहीं था, हर समय वो किसी न किसी
‘तेजस्वी बालक नरेंन्द्रनाथ’
स्वामी विवेकानंदजी जी को बचपन में सब लोग बिले नाम से पुकारते थे। बाद में नरेन्द्रनाथ दत्त कहलाये। नरेन्द्रनाथ बहुत उत्साही और तेजस्वी बालक