जनजातीय कार्य विभाग में चल रहे चमड़े के सिक्के!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। कलेक्टर कार्यालय के अधीन संचालित होने वाले जनजातीय कार्य विभाग में चमड़े के सिक्के चल रहे हैं। नियम कायदों को बलाए ताक पर रखकर जिसके मन में जो आ रहा है उसके द्वारा उस तरह की नस्ती को चलाया जाकर शिकायतों में मनमानी कार्यवाही की जा रही है।
जनजातीय कार्य विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जनजातीय कार्य विभाग के आश्रम शालाओं में प्रत्येक विद्यार्थी को गणवेश के लिये छः सौ रूपये, चादर तकिया के लिये आठ सौ रूपये एवं बिस्तर के लिये पाँच हजार चार सौ रूपये इस तरह हर साल छः हजार 800 रूपये की राशि प्रदाय की जाती है। यह राशि विद्यार्थी या उसके पालक के बैंक खाते में जमा करायी जाती है।
सूत्रों ने बताया कि जिले के आश्रम और शालाओं में अधीक्षकों के द्वारा मोटे कमीशन पर स्थानीय स्तर पर घटिया गणवेश, तकिया, चादर एवं बिस्तर को खरीद लिया जाता है। इसके बाद आरंभ होता है भ्रष्टाचार का उच्च स्तरीय खेल। इसके बाद अधीक्षकों के द्वारा विद्यार्थियों के पालकों को बुलाकर उनके खातों से 6800 रूपये की राशि का आहरण कराया जाकर आश्रम या छात्रावास में ही उन्हें गणवेश, तकिया, बिस्तर, चादर आदि प्रदाय कर दिया जाता है।
सूत्रों ने बताया कि जिला मुख्यालय स्थित अंग्रेजी माध्यम आश्रम शाला की अधीक्षिका के खिलाफ एक पालक के द्वारा जिला कलेक्टर को शिकायत भी की गयी है। इस शिकायत में उनके द्वारा कहा गया है कि आश्रम की अधीक्षिका के द्वारा उनसे 6800 रूपये की राशि का आहरण कर उन्हें (अधीक्षिका को) देने का दबाव बनाया जा रहा है। यह राशि नहीं देने पर उनके बच्चे को आश्रम से भगा देने की बात कही जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि इस शिकायत के बाद जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त को चाहिये था कि वे अंग्रेजी माध्यम आश्रम की अधीक्षिका को कारण बताओ नोटिस जारी कर इसकी सत्यता का पता करते, किन्तु उनके द्वारा आश्रम की अधीक्षिका को बचाते हुए कन्या आश्रम के प्रधान पाठक (जिनके नाम का उल्लेख शिकायत में है ही नहीं) को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है।
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