महाकुंभ 2025 : तकनीक से करोड़ों की गिनती

(प्रीति भोसले)

महाकुंभ नगर (साई)। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की गिनती कैसे की जाती है? आइए जानते हैं इस प्रक्रिया के बारे में।

कैसे होती है गिनती?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): इस बार महाकुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। पूरे मेला क्षेत्र में हजारों सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे हर मिनट डेटा अपडेट करते हैं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से इन डेटा का विश्लेषण करके भीड़ का सटीक आकलन किया जाता है।

क्राउड डेंसिटी एल्गोरिदम: ये एल्गोरिदम कैमरों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करके भीड़ के घनत्व का अनुमान लगाते हैं। इससे यह पता चलता है कि किसी विशेष क्षेत्र में कितने लोग मौजूद हैं।

ट्रांसपोर्ट डेटा: ट्रेनों, बसों, नावों और निजी वाहनों से आने वाले श्रद्धालुओं के आंकड़ों को भी जोड़कर कुल संख्या का अनुमान लगाया जाता है।

मैनुअल काउंटिंग: कुछ क्षेत्रों में अभी भी मैनुअल काउंटिंग की जाती है, खासकर उन जगहों पर जहां कैमरे की पहुंच नहीं होती है।

पहले शाही स्नान में 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु

महाकुंभ के पहले शाही स्नान में लगभग 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई थी। यह आंकड़ा प्रशासन द्वारा जारी किया गया था।

कुल 45 करोड़ श्रद्धालुओं का अनुमान

महाकुंभ के दौरान कुल 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। हालांकि, यह एक अनुमानित आंकड़ा है और वास्तविक संख्या इससे अधिक या कम भी हो सकती है।

क्यों जरूरी है गिनती?

व्यवस्थाएं: श्रद्धालुओं की संख्या का अंदाजा लगाकर प्रशासन आवश्यक व्यवस्थाएं जैसे कि पानी, बिजली, सुरक्षा आदि बेहतर तरीके से कर सकता है।

आंकड़े: श्रद्धालुओं की संख्या के आंकड़े भविष्य के आयोजनों की योजना बनाने में मदद करते हैं।

शोध: इन आंकड़ों का उपयोग शोधकर्ता भी विभिन्न अध्ययनों के लिए कर सकते हैं।

कितना सटीक है यह आंकड़ा?

हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों की गिनती करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसलिए, यह आंकड़ा पूरी तरह से सटीक नहीं हो सकता है। यह एक अनुमानित आंकड़ा है।

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, यह एक जटिल प्रक्रिया है और आंकड़ा पूरी तरह से सटीक नहीं हो सकता है। फिर भी, यह आंकड़ा प्रशासन को बेहतर तरीके से व्यवस्थाएं करने में मदद करता है।

PREETI BHOSLE

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