आदिवासियों की सुध ली कांग्रेस सरकार ने

 

 

 

संगठन नहीं कर पा रहा योजनाओं का प्रचार प्रसार

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। गरीब आदिवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। जन्म,मृत्यु आदि संस्कारों पर उत्सव करने पर आदिवासी भोजन की व्यवस्था के लिए सरकार और शासन की मदद से अनाज मिलेगा और बर्तन के लिए राशि मिलेगी। सरकार ने आदिवासी समाज के लिए मदद नाम से योजना शुरू की है।

शासन की मदद से आदिवासी समाज की वर्षों से चली आ रही परंपरा भी कायम रहेगी। वहीं गरीब आदिवासी समाज के लोग संस्कार व जन्म-मृत्यु के उत्सव के आयोजन के लिए कर्ज लेने से मुक्ति मिल जाएगी। शासन की मदद योजना में प्रदेश के 89 आदिवासी विकास खंडों को शामिल किया गया है। इसमें सिवनी के पांच विकास खंड भी शामिल हैं।

जिले की 346 ग्राम पंचायतों व 978 आदिवासी गांव को मिलेगा लाभ : मदद योजना के तहत जिले के पांच विकासखंड कुरई, छपारा, लखनादौन, घंसौर व धनौरा शामिल हैं। जिसमें 346 ग्राम पंचायतें व 978 गांव शामिल हैं जिन्हें सरकार की मदद योजना का लाभ मिलेगा। सरकार की मदद योजना में दो घटक है इस योजना के दो घटक है। एक में बर्तन और दूसरे घटक में अनाज है।

इसमें योजना के तहत बर्तन एक ही बार दिया जाएगा। जबकि अनाज सतत रूप से दिया जाएगा। योजना के तहत बधो के जन्म होने पर आधा क्िवटल गेहूं चांवल व परिवार में मृत्यु होने पर भोज आयोजन के लिए एक क्विंटल अनाज संबंधित परिवार को निर्धारित दर उचित मूल्य की दुकान से उपलब्ध कराया जाएगा जिसका व्यय की प्रतिपूर्ति शासन द्वारा की जाएगी।

बर्तनों के लिए 25 हजार रुपए : सहायक आयुक्त एसएस मरकाम ने बताया कि आदिवासी परिवार को जन्म – मृत्यु और संस्कारों पर शासन स्तर से निर्धारित दर पर अनाज तो मिलेगा। वहीं कई बार गांव में सामूहिक भोज के अवसर पर लोगों के लिए खाना पकाने के लिए बड़े बर्तन नहीं होते हैं इससे भोजन व्यवस्था में कठिनाई होती है लोगों को इधर-उधर से किराए से लाना पड़ता है। इसलिए प्रत्येक आदिवासी बाहुल्य ग्राम को सामूहिक आयोजनों के बर्तनों के लिए 25 हजार रुपए की राशि मदद योजना के तहत दी जाएगी। पंचायतों के माध्यम से संबंधित गांवों को यह राशि प्रदाय की जाएगी।

यहां यह उल्लेखनीय होगा कि कांग्रेस की प्रदेश सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार में जिला स्तरीय कांग्रेस संगठन के द्वारा दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है। सरकारी स्तर पर होने वाले प्रचार प्रसार में भी इसका अभाव परिलक्षित ही होता दिख रहा है।