सीएमएचओ क्यों कतरा रहे अस्पतालों के निरीक्षण से!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। सिवनी जिले में चल रहे निजि चिकित्सालयों में क्लीनिकल एस्टब्लिशमेंट एक्ट और प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के द्वारा निर्धारित मापदण्डों का पालन हो रहा है अथवा नहीं, इस बारे में जाँच करने की फुर्सत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को नहीं दिख रही है।
सीएमएचओ कार्यालय के भरोसेमंद सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि प्रशासन के द्वारा लगातार ही कथित रूप से इस मामले में उदासीनात्मक रवैया अपनाने के चलते शहर में न जाने कितने अस्पताल नियम कायदों को धता बताते हुए संचालित हो रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि नागपुर से आकर सिवनी में निजि तौर पर सशुल्क चिकित्सा करने वाले चिकित्सकों के द्वारा क्लीनिकल एस्टब्लिशमेंट एक्ट का खुला उल्लंघन किया जा रहा है किन्तु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे अराजक स्थिति निर्मित होती जा रही है।
उक्त संबंध में सूत्रों का कहना है कि कमोबेश रोज ही समाचार पत्रों में उनकी नाक के नीचे संचालित जिला चिकित्सालय की अनियमितताओं की खबरों के प्रकाशन के बाद भी उनकी तंद्रा नहीं टूट पा रही है। सूत्रों ने कहा कि हो सकता है कि किसी दबाव के चलते सीएमएचओ के द्वारा अपने मातहत चिकित्सा अधिकारियों की मश्कें न कसी जा पा रही हों।
सूत्रों की मानें तो जिले में संचालित होने वाले निजि अस्पतालों के निरीक्षण के लिये भी सीएमएचओ के द्वारा कभी न तो पहल ही की गयी है और न ही कभी खुद ही औचक निरीक्षण ही किया गया है, जबकि इस मामले में सीएमएचओ ही सक्षम अधिकारी हैं। वे चाहें तो निजि अस्पतालों को व्यवस्थाएं बनाने के लिये बाध्य कर सकते हैं।
इसी तरह सूत्रों ने कहा कि जिले में संचालित होने वाले निजि अस्पतालों में क्लीनिकल एस्टब्लिशमेंट एक्ट और प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के नियम कायदों का पालन किया जा रहा है या नहीं, इस बारे में जाँच की फुर्सत भी सीएमएचओ को नहीं है।
सूत्रों ने आश्चर्य जनक खुलासा करते हुए बताया कि जिले में संचालित अनेक निजि चिकित्सालयों के पास प्रदूषण नियंत्रण मण्डल का अनापत्ति प्रमाण पत्र तक नहीं है। सूत्रों ने कहा कि जिला चिकित्सालय की सफाई और सुरक्षा की मद में लाखों रुपये हर माह खर्च किये जाने के बाद भी आवारा पशु, कुत्ते आदि अस्पताल परिसर के अंदर स्वच्छंद विचरण करते दिख जाते हैं।
उल्लेखनीय होगा कि औपचारिकता पूरी करने के लिये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के द्वारा समय – समय पर (निश्चित अंतराल के बाद) जिले में चिकित्सा व्यवसाय में संलग्न चिकित्सकों को उनके प्रमाण पत्रों को जमा करवाने के लिये ताकीद अवश्य किया जाता है, पर अब तक कितने चिकित्सकों के द्वारा अपने – अपने प्रमाण पत्र आदि जमा करवाये गये हैं, इस बारे में सीएमएचओ और सीएस कार्यालय मौन ही हैं।
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