सहकारी बैंकों की वसूली महज 15 फीसदी

 

 

 

 

जून तक हालात नहीं सुधरे तो बिगड़ेगी स्थिति

(ब्यूरो कार्यालय)

भोपाल (साई)। सहकारी समितियों से खेती के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेने के बाद उसे अदा नहीं करने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले साल रबी फसलों के लिए उठाए कर्ज में मात्र 15 फीसदी की ही वसूली अभी तक हो पाई है।

जून तक यदि यही गति रही तो सहकारी बैंकों की हालात बिगड़ सकती है, क्योंकि समितियों को कर्ज देने के लिए राशि बैंकों से ही मिलती है। बैंकों को किसानों से मौजूदा और कालातीत कर्ज मिलाकर 22 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा लेने हैं। इसमें से साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए की वसूली ही मार्च के पहले पखवाड़े तक हुई है।

सहकारी बैंकों की रिपोर्ट के हिसाब से उन्हें किसानों से नियमित कर्ज के 14 हजार 878 करोड़ और कालातीत कर्ज के आठ हजार 589 करोड़ रुपए लेने हैं। इसके एवज में मार्च के पहले पखवाड़े में नियमित कर्ज के विरुद्ध एक हजार 393 करोड़ और कालातीत कर्ज के हिस्से से दो हजार 75 करोड़ रुपए मिले हैं। इस हिसाब से देखें तो वसूली 15 प्रतिशत से कुछ ज्यादा ही हुई है। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह पिछले सालों की तुलना में अभी तक की वसूली का 50 फीसदी भी नहीं है।

रबी सीजन के कर्ज की अदायगी जून 2019 तक होनी है। मई अंत तक लोकसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावी रहेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार वसूली कम ही रहेगी, क्योंकि सियासी वजह से इसको लेकर सख्ती नहीं हो पाएगी। इसका असर बैंकों की आर्थिक सेहत पर भी पड़ेगा, क्योंकि वसूली नहीं आएगी तो कर्ज वितरण की पूरी व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी।

बैंक किसानों को कर्ज देने के लिए वसूली की राशि के अलावा नाबार्ड से कर्ज लेकर राशि का इंतजाम करता है। मार्च अंत में अपेक्स बैंक को नाबार्ड के कर्ज की किस्त अदा करनी है। इसके लिए राशि का इंतजाम करने सरकार पर निर्भरता बन गई है।

कर्जमाफी योजना का असर भी : सहकारी बैंकों की वसूली की गति कम रहने का एक कारण जय किसान फसल ऋण मुक्ति योजना भी है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंदसौर में इसकी घोषणा की थी। कांग्रेस सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहला हस्ताक्षर कर्जमाफी की फाइल पर ही किया।

इसके बाद कर्जमाफी भी शुरू हो गई तो वसूली की रफ्तार थम गई। सूत्रों का कहना है कि जिन किसानों के ऊपर दो लाख रुपए से ज्यादा कर्ज हैं, उन्होंने बकाया राशि भी नहीं चुकाई है। यदि नए सीजन के पहले कर्ज अदायगी नहीं की गई तो फिर खरीफ फसलों के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज भी नहीं मिलेगा।

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