अतिवृष्टि से ढह गये अनेक मकान

 

 

(फैयाज खान)

छपारा (साई)। लगातार हो रही बारिश अब लोगों के लिये परेशानी का सबब बन रही है। ग्रामीण क्षेत्रों अतिवृष्टि से एक ओर जहाँ किसानों की फसलें खराब हो रही हैं वहीं दूसरी ओर कच्चे मकान भी इसके चलते धराशायी हो रहे हैं। इस साल सैकड़ों की तादाद में मकान गिरने की खबरें हैं।

280 मकान से अधिक हुए जमींदोज: तहसील कार्यालय छपारा से मिली जानकारी के मुताबिक छपारा तहसील क्षेत्र में 280 मकान गिरे हैं, जिनमें रहने वाले लोगों को भारी नुकसान हुआ है। मकान गिरने से लोग बेघर हो गये और खाने पीने का सामान भी बर्बाद हो गया है।

किसानों का कहना है कि शासकीय नियमों के हिसाब से क्षति का मुआवजा ऊँट के मुँह में जीरा की तरह दिया जा रहा है जिससे न तो वे अपनी गृहस्थी संवार पा रहे हैं और न ही कोई रहने की व्यवस्था हो पा रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार विकास खण्ड मुख्यालय छपारा में दो घटनाओं में मकान ध्वस्त होने से दो महिलाएं घायल हो गयीं थीं, जिनमें से गोकलपुर वार्ड निवासी एक महिला का नागपुर में उपचार जारी है। इनके परिवारों के सामने दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

गिरी दीवार बाल – बाल बचा परिवार : प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत छपारा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत खुर्सीपार में 29 सितंबर को एक मकान की दीवार भरभरा कर गिर गयी जिसमें महिला और बच्चे बाल – बाल बच गये। ग्राम खुर्सीपार के बरमैया परिवार के घर की दीवार गिर गयी। इस दौरान उनकी पत्नि और तीन बेटियां घर में मौजूद थीं। इस हादसे में वे सुरक्षित बच गयीं।

क्षेत्र में अतिवृष्टि से गिरे मकानों की पटवारियों से रिपोर्ट बुलाकर उनका आंकलन कर मुआवजा देने की कार्यवाही जारी है. कई पीड़ित परिवारों को मुआवजा दे भी दिया गया है. इसके अलावा उच्च अधिकारियों को भी जानकारी भेजी जा रही है.

नितिन गौड,

तहसीलदार

अतिवृष्टि से गिरे मकानों में मिलने वाला मुआवजा ऊँट के मुँह में जीरे की तरह है. प्रशासन अतिवृष्टि से गिरे मकानों का सर्वे कराकर प्रधानमंत्री आवाज योजना देने की प्रक्रिया की जाना चाहिये.

जगराम परते,

सरपंच, अंजनिया.