अव्यवस्था को भोगा ग्रामीणों ने

 

हाल ही में दशहरा पर्व संपन्न हुआ। सब कुछ अच्छा ही रहा लेकिन मुझे शिकायत प्रशासन से है जिसके द्वारा बनायी गयी व्यवस्था के कारण शहर आने वाले ग्रामीणजन अनावश्यक रूप से परेशान होते रहे।

दशहरा पर्व के दौरान ऐसा लगा जैसे प्रशासन ने व्यवस्था सम्हालने का अचूक तरीका खोज निकाला हो और वह है रास्तों को बंद कर देना। रास्तों का बंद कर देना तो समझ आता है लेकिन समय से काफी पहले जब कि जन समूह शहर की सड़कों पर आना आरंभ भी नहीं हुआ था और लोग अपने दैनिक कार्य निपटा रहे थे उसी दौरान उन्हें बंद रास्तों की समस्या से दो-चार होना पड़ा।

इसमें भी सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोगों को हुई जबकि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाला जन समूह भी दशहरा की रौनक बढ़ाता है। कटंगी रोड की दिशा से आने वाले ग्रामीणों को जबरन चक्कर लगवाया गया। पुराने कटंगी नाका से ही प्रशासन के द्वारा शाम के समय से बेरीकेट्स लगवा दिये गये थे जो पूरी तरह से अनावश्यक ही कहे जा सकते हैं।

अनावश्यक इसलिये क्योंकि कटंगी नाका से यातायात को मठ जाने वाली रोड की दिशा में डायवर्ट कर दिया गया था। इसके चलते इन मार्गों पर यातायात का जबर्दस्त दबाव रहा जिसके कारण कई बार जाम की स्थितियां बनती रहीं। शायद प्रशासन ने इस बात का अध्ययन नहीं किया था कि यदि समय से पूर्व ही यातायात को दीवान महल की दिशा में रोक दिया जायेगा तो दूसरे मार्गों पर यातायात का दबाव बढ़ जायेगा इसलिये बेहतर होता कि वहाँ यातायात को नियंत्रित करने के लिये कुशल पुलिस कर्मियों को तैनात किया जाता लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

कटंगी नाका पर बेरीकेट्स लगाने का कोई तुक भी समझ नहीं आ सका क्योंकि जिन लोगों को दीवान महल की दिशा में गमन करना था वे विवेकानंद वार्ड के अंदरूनी मार्गों से उस रोड पर जा रहे थे। इस तरह कटंगी नाका पर जो मशक्कत प्रशासन के द्वारा की गयी उसे व्यर्थ ही कहा जायेगा। यदि विवेकानंद वार्ड के अंदरूनी मार्गों पर भी दीवान महल को जोड़ने वाली सड़क पर बेरीकेट्स लगाये जाते तो इस व्यवस्था का सही परिणाम भी निकलता। कुल मिलाकर यही प्रतीत हुआ कि दशहरा पर्व पर अयोग्य लोगों ने ही सिवनी शहर के यातायात को व्यवस्थित करने की योजना बनायी होगी जिसका भोगमान ग्रामीण क्षेत्र की जनता बनती दिखी।

आनंद ठाकुर