बदबूदार पाऊच में बिक रहा अमानक किन्तु कहने को शुद्ध पानी!
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। गर्मी में शीतल पेयजल के लिये सार्वजनिक प्याऊ के अभाव में पानी की बढ़ती माँग का फायदा कंटेनर्स में पानी बेचने वाले एवं पाऊच निर्माता जमकर उठा रहे हैं। हाल ही में आये फैनी चक्रवात के बाद मौसम में घुली उमस में इन लोगों का कारोबार फलता फूलता ही दिख रहा है।
नगर पालिका के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पालिका के स्वास्थ्य विभाग की कथित अनदेखी के कारण स्थान – स्थान पर बिकने वाले शुद्ध पेयजल वाले पाऊच में दूषित और बदबूदार पानी बेचा जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि आईएसआई मार्क के साथ बिकने वाले पानी के पाऊच को अगर खोलकर इसकी गंध ली जाये तो इसमें से अजीब सी गंध आती है। इसकी असलियत की जानकारी उपभोक्ता को तब होती है जब वह प्यास बुझाने के लिये इस पाऊच को पूरा गटक चुका होता है।
इसके साथ ही सूत्रों का कहना है कि जिले के बाजारों में बिकने वाले आईएसआई मार्क वाले पानी के पाऊच में कंपनी का नाम भी अपठनीय अक्षरों में होता है पर इसमें न तो निर्माण तिथि का उल्लेख होता है और न ही अवसान तिथि का। कुछ पाऊच में तो कंपनी का नाम ही गायब होता है।
पाऊच में बंद पानी कितने दिनों तक शुद्ध रहेगा, इसे किस तापमान पर रखा जाना चाहिये जैसी हिदायतें भी पाऊच से गायब ही रहती हैं। सूत्रों ने कहा कि अगर पानी का पाऊच पुराना हो गया हो तो वह मानव उपयोग के लिये हानिकारक भी हो सकता है। पर इस मामले से खाद्य और औषधि प्रशासन एवं नगर पालिका को ज्यादा सरोकार नजर नहीं आ रहा है।
उधर, पीएचई विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से पानी में उपलब्ध फ्लोराईड की मात्रा 1.5 पीपीएम (वन पार्ट पर मिलियन) निर्धारित है। जिस पाऊच में पानी पैक किया जा रहा है उस प्लास्टिक को 40 माईक्रोन से अधिक होना चाहिये।
सूत्रों का कहना है कि जिला मुख्यालय में जिस तरह पंद्रह से बीस लिटर वाले कूल जग में ठण्डा पानी वितरित किया जा रहा है उसके शुद्ध होने की कोई गारंटी नहीं है। इतना ही नहीं पानी की दो हजार लीटर वाली टंकी में ठण्डा पानी ले जाकर घर या प्रतिष्ठानों में भरना अवैध ही है।
इसके साथ ही सूत्रों ने बताया कि जिला मुख्यालय में ही सात प्रतिष्ठानों के द्वारा चिलर प्लांट (पानी को ठण्डा करने वाली मशीन) के द्वारा आरओ वाटर प्रदाय किया जा रहा है। इन चिलर प्लांट को पानी कहाँ से मिल रहा है? क्या पानी गुणवत्ता युक्त है इसकी जाँच करना भी संबंधित विभाग के अधिकारियों को गंवारा नहीं दिखता है।
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