लापरवाही और चटोरी जुबान कर रही हृदय पर आघात

(विश्व हृदय दिवस विशेष – 29 सितंबर 2022)

(डॉ. प्रितम भि. गेडाम)

आज का आधुनिक युग विज्ञान के क्षेत्र में लगातार तरक्की कर रहा है लेकिन मानव जीवन विकास में खराब स्तर पर आगे बढ़ रहा है, देश की वायु इतनी दूषित है कि यहां पर मानव की औसत उम्र 6.3 वर्ष से कम हो जाती है और सभी हृदवाहिनी रोगों के मौतों में से 25% के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है। हर साल 29 सितंबर को “विश्व हृदय दिवस” बढ़ते हृदय रोगों के बारे में जनजागृति हेतु दुनिया भर में मनाया जाता है। इस साल 2022 की थीम “हर दिल के लिए दिल का इस्तेमाल करें” यह है। मधुमेह, मेटाबोलिक सिंड्रोम, उच्च रक्तचाप, नशे के बढ़ते सेवन, गतिहीन जीवन शैली, खराब आहार और धूम्रपान की उच्च दर ये हृदय रोग के लिए प्रमुख जोखिम कारक हैं। आधुनिक जीवनशैली और मोबाइल ने लोगों की नींद छीन ली है। स्वस्थ दिल के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है, पर्याप्त नींद नहीं लेना हृदय रोग के खतरे को बढ़ाता है। हृदय रोग घातक है, लक्षण नजर आते ही तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए, बहुत बार स्वस्थ व्यक्ति भी नींद में अपनी जान गवां देता है क्योकि इसके पीछे कोरोनरी आर्टरी डिजीज और हाई ब्लड प्रेशर साइलेंट किलर की तरह काम करता है। हर 40 सेकंड में, एक वयस्क की मौत दिल का दौरा, स्ट्रोक, या हृदय रोग (सीवीडी) के अन्य प्रतिकूल परिणामों से होती है। पिछले 20 वर्षों में दिल के दौरे से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
देश में मिलावटखोरी की समस्या लगातार बढ़ रही है और त्योहारों में तो मिलावटखोरी चरम पर होती है, नशाखोरी भी बहुत बढ़ रही है। चटोरी जुबान की इच्छा पूर्ति के लिए हजारों नए-नए व्यंजन आ गए है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक आवश्यक प्रोटीन, विटामिन्स, पोषक तत्व इनमें से नदारद है, उलटे उनमे समाविष्ट घातक रसायन और निकृष्ट तत्व स्वस्थ शरीर को ख़राब कर रहे है। इंसान स्वास्थ्य के हिसाब से खाद्य पदार्थ का चयन नहीं करता है, बल्कि जुबान के स्वाद के हिसाब से चयन करता है। किस खाद्य पदार्थ में कितनी कैलोरी है? हम कितनी कैलोरी बर्न करते है? यह कितना फायदेमंद है? इनमें कौन-से पोषक तत्व है? शरीर के लिए आवश्यक कौन-से पोषक तत्व की कितनी जरूरत है? इनके बारे में कोई विचार करना ही नहीं चाहता और लोग बेपरवाह होकर बड़े चटकारे लेकर ऐसे खाद्य पदार्थों की दावत उड़ाते है, आज की आधुनिक पीढ़ी को यह कुछ ज्यादा ही भाता है।
अक्सर लोग कहते है कि बीमारियां बहुत बढ़ गई है, जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है, एकदम सही बात है, परन्तु इसके पीछे के कारण भी पता है? इसके लिए भी अधिकतर हम खुद ही जिम्मेदार है। हम खुद ही पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन करके सुरक्षित खाद्य पदार्थों से दूरी बना रहे है। जो आसानी से मिलता है वही खाते है। अब तो अनाज भी लोगों को पॉलिश किया हुआ ही चाहिए, हर चीज सुन्दर दिखनी चाहिए चाहे उसमे गुणवत्ता हो या ना हो। बढ़ते आधुनिक संसाधन के कारण मनुष्य वैसे ही बहुत आलसी और कमजोर हो गया है। लोगों को अब साईकल सिर्फ जिम में चलानी अच्छी लगती है, सड़को पर साईकिल चलाने में शर्म महसूस होती है। घर में सदस्यों से ज्यादा गाड़ियां होती है, हर तरफ चौराहों और सड़कों पर शोर, जाम नजर आता है। पर्यावरण और अच्छे स्वास्थ्य के बारे में विचार करने के लिए किसी के पास समय नहीं है। हर कोई दूसरों को दोष देने में व्यस्त है, परन्तु क्या हम अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे है? ऐसे माहौल में सहज है कि चिड़चिड़ापन, तनावपूर्ण जीवन जिएंगे। हमारे व्यवहार, खान-पान, वातावरण का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है, जो गंभीर बीमारियों को जन्म देती है, जिसे काफी हद तक हम अपनी सजगता और समझदारी से टाल सकते है।
विश्व स्तर पर हृदय रोग मृत्यु का नंबर 1 कारण है। हर 3 में से 1 मौत हृदय वाहिनी रोगों के कारण होती है, सावधानी और जागरूकता द्वारा हम अधिकांश हृदय रोगों को रोक सकते है। साल 2019 में, पूरी दुनिया में सभी प्रकार के हृदय रोगों से लगभग 17.9 मिलियन मौतें हुईं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन 2022 अनुसार, 2020 में सेरेब्रोवास्कुलर रोग से दुनिया भर में 7 मिलियन मौतें हुईं। सीवीडी से होने वाली 80% मौतें निम्न से मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र 2022 अनुसार, यू.एस. में प्रति वर्ष लगभग 697,000 मौतें होती हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन 2019 अनुसार, लगभग 121.5 मिलियन अमेरिकी वयस्क हृदय रोग से पीड़ित है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन 2019 अनुसार, 2030 में प्रतिवर्ष 23 मिलियन से अधिक सीवीडी से संबंधित मौतों की संभावना है और सीवीडी की लागत 1,044 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
2016 में, भारत में सीवीडी की अनुमानित व्यापकता 54.5 मिलियन थी। हर साल देश में लगभग 1.5 मिलियन लोग हृदय रोग से जान गवाते हैं। इंडियन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, भारतीय पुरुषों में होने वाले सभी हार्ट अटैक का 50% यह 50 वर्ष से कम आयु में होता है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार, भारत में सभी मौतों में से लगभग एक चौथाई (24.8 प्रतिशत) सीवीडी के कारण होती है। इस्केमिक हृदय रोग के मामले में, पंजाब, तमिलनाडु और हरियाणा में सबसे आगे है जबकि मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय सबसे पीछे है। हृदय रोगों की बीमारी बहुत तेजी में बढ़ रही है, अब तो ऐसा लगता है कि पूरे देश में हृदय रोग आम बीमारियों की श्रेणी में आ गया है। पिछले वर्ष चीन में हृदय रोगों से होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक थी, इसके बाद भारत, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और इंडोनेशिया का स्थान था। अध्ययन से पता चला है कि पश्चिमी देशों के लोगों के मुकाबले कम से कम 10 साल पहले भारतीय हृदय रोग से पीड़ित होते हैं।
ब्रेड, पास्ता, पिज्जा, मक्खन, फुल-फैट दही, फ्रेंच फ्राइज़, फ्राइड चिकन, लाल मांस, सोडा, प्रोसेस्ड मीट, डिब्बाबंद सूप, आइसक्रीम, आलू चिप्स, स्नैक्स, कैंडी, शीतल पेय, शक्कर युक्त खाद्य, कुकीज, पेस्ट्री, फास्ट-फूड बर्गर, पनीर, जैरेड टमाटर सॉस, कॉफी क्रीम, केचप, डिब्बाबंद खाद्यपदार्थ, बेक्ड खाद्य पदार्थ, डीप-फ्राइड खाद्य पदार्थ, साथ ही नशीले पदार्थ अल्कोहल, तंबाकू व अन्य हमारे दिल और शरीर के लिए नुकसानदायक है। ऐसे खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में नमक, चीनी, संतृप्त वसा, परिष्कृत कार्ब्स, और घातक रसायन होते है जो दिल के दौरे या स्ट्रोक के लिए जोखिम बढ़ाते हैं। खाद्य तेल, नमक, शक्कर, मैदे से तैयार पदार्थों का सेवन ना के बराबर होना चाहिए, सभवतः ताजा खाना, दाले, अंकुरित अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल खाए। विश्व का सबसे अच्छा पेय शुद्ध सादा पानी है, स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 7-8 घंटो की पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। हर उम्र के लोगों ने शारीरिक व्यायाम रोज करना बहुत जरूरी है। सुंदर प्रकृति स्वास्थ्यकर वातावरण निर्माण करती है, पर्यावरण को बनाये रखने के लिए सभी का सहभाग आवश्यक है। अपने संपूर्ण आहार पर ध्यान देना आज के समय में सबसे बड़ी बुद्धिमानी है। तनाव मुक्त जीवन के लिए हेल्दी हॉबी, खेल, समाजसेवा, पर्यावरण और पशुओं की सेवा जैसे काम निःस्वार्थ भाव से करना चाहिए अर्थात हर दिल ने हर दिल के लिए काम करना चाहिए। जागरूक रहें, अच्छा खाएं, स्वस्थ रहें और अपने दिल का ख्याल रखिए।

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