(शरद खरे)
सिवनी शहर की सड़कें रात को बाज़ार बंद होने के बाद काफी चौड़ी नजर आती हैं, पर सुबह आठ बजे के बाद ये तंग गलियों में तब्दील हो जाती हैं। दिन में इन सड़कों पर लगी दुकानों के कारण सड़कें संकरी इसलिये हो जाती हैं क्योंकि शहर के कमोबेश हर घर में ही एक दुकान का शटर है। लोग सिवनी को शटर वाला शहर भी कहने लगे हैं।
सिवनी शहर के अंदर, आधा या एक एकड़ के रकबे वाले क्षेत्र में शादी लॉन विकसित कर दिये गये हैं। इन लॉन्स को विकसित करने का सिलसिला इक्कीसवीं सदी के आगाज़ के कुछ साल पहले ही आरंभ हुआ था। एक के बाद एक कर, सिवनी में लॉन्स की तादाद में विस्फोटक बढ़ौत्तरी दर्ज की गयी है।
पूर्व में जिला प्रशासन के द्वारा इन लॉन्स को प्रतिबंधित करने की कार्यवाही भी नगर पालिका के माध्यम से की गयी थी। इसके बाद अघोषित छूट मिलने के साथ ही साथ ये लॉन्स एक बार फिर अस्तित्व में आ गये। इन लॉन्स के साथ सबसे बड़ी समस्या यह सामने आती है कि इनमें से अधिकांश के पास पर्याप्त पार्किंग का स्थान नहीं है।
लॉन में होने वाली शादियों के लिये निकलने वाली बारातों के कारण जब चाहे तब सड़कों पर जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। इसका कारण यह है कि लॉन संचालकों के द्वारा सड़क पर सुरक्षा कर्मियों या अपने अन्य कारिंदों के जरिये यातायात को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं किया जाता है।
पिछले दिनों दो एंबूलेंस और दो फायर ब्रिगेड वाहन इस जाम में फंस गये थे। लोगों ने आपातकालीन स्थिति को देखते हुए बारात को सड़क पर व्यवस्थित करते हुए इन वाहनों को निकालने में महती भूमिका निभायी थी। देखा जाये तो यह काम नगर पालिका और यातायात पुलिस का है कि वे यह ध्यान दें कि सड़कों पर निकलने वाले वाहनों को इस तरह की बारातों आदि के चलते किसी तरह की परेशानी न हो।
देखा जाये तो नगर पालिका, यातायात पुलिस एवं परिवहन अधिकारी के साथ जिला प्रशासन को चाहिये कि लॉन संचालकों की एक बैठक का आयोजन कर जिन लॉन में पर्याप्त पार्किंग का अभाव है उन्हें पार्किंग बनाने तक शादी ब्याह के लिये प्रतिबंधित करने की कार्यवाही करें।
इसके साथ ही साथ लॉन संचालकों को यह निर्देश भी जारी किये जायें कि उनके लॉन में होने वाले आयोजनों से यातायात बाधित न हो, तेज आवाज में शोर शराबा न हो। अगर ऐसा किया जाता है तो इनके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाये। वैसे भी अभी आचार संहिता चल रही है, जाहिर है इन्हीं नियम कायदों के तहत आयोजनों की अनुमति भी प्रशासन के द्वारा दी ही जा रही होगी।
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