भारत में मुंह के कैंसर के मामले सबसे अधिक देखने को मिलते हैं। यह कैंसर पुरुषों को ज्यादा होता है। मुंह के कैंसर की पहचान सामान्य जांच से हो जाती है, पर दुखद है कि मौजूदा मुख कैंसर रोगियों में से 65 से 70 फीसद मरीज अंतिम चरणों में हैं। इसके भी कई कारण हैं। दुनियाभर में हर साल करीब दो लाख मौतें मुख कैंसर की वजह से होती हैं। अकेले भारत में यह संख्या 45 से 50 हजार प्रतिवर्ष है। निम्न आय वर्ग में इसके मामले अधिक देखने को मिलते हैं। इतना ही नहीं, 10 से कम उम्र के बच्चों में भी इसके मामले सामने आए हैं।
ये हैं कारण
तंबाकू: मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामले तंबाकू चबाने या धूम्रपान करने की वजह से होते हैं। हमारे आंकड़ों के अनुसार 15 से 49 आयु के 57 फीसद पुरुष और 11 फीसद महिलाएं धूम्रपान करती हैं। भारत में बीड़ी, हुक्का, धूमती, चुट्टा और हुकली का इस्तेमाल होता है। दिनभर में कितनी बीड़ी/सिगरेट पी रहे हैं या फिर कितनी छोटी उम्र से धूम्रपान कर रहे हैं, ये सब मायने रखता है। पान मसाला, गुटखा या चबाई जाने वाली दूसरी चीजें हालांकि धूम्रपान की श्रेणी में नहीं आते, पर इनकी लत धूम्रपान की तुलना में अधिक होती है। मुख कैंसर के 50 फीसदी मामले चबाने वाले तंबाकू के कारण होते हैं।
एल्कोहल: ये भी मुख कैंसर की एक वजह है। धूम्रपान व शराब दोनों लेने वालों में कैंसर का जोखिम 30 गुणा ज्यादा होता है। एक शोध के अनुसार मुख कैंसर की आशंका 123 गुणा तक बढ़ जाती है, अगर धूम्रपान, शराब व तंबाकू तीनों का सेवन किया जाता है।
सुपारी: सुपारी को गुटखा के रूप में बेचा जाता है। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, ताइवान और चीन में इसे खूब खाया जाता है। सुपारी में एरेकोलाइन तत्व होता है, जो कैफीन, एल्कोहल और निकोटिन के बाद उत्तेजक पदार्थो में चौथे नंबर पर गिना जाता है। आमतौर पर सुपारी को पाचन और सूजन व दर्द में अच्छा माना जाता है, पर इसकी लत होना अच्छा नहीं है।
मुंह की ढंग से सफाई ना करना: मुख कैंसर की एक वजह मुंह की ढंग से साफ-सफाई ना करना है। इस कारण पुरुषों में 32 फीसदी व महिलाओं में 64 फीसदी मुख कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। खराब फिटिंग वाले डेंचर लगाना भी जोखिम बढ़ाता है।
खान-पान: रेड मीट, प्रोसेस्ड उत्पाद और अधिक मसालेदार भोजन भी मुख कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। पर आहार में फल व हरी पत्तेदार सब्जियों से मिलने वाले फाइबर की कमी ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। ग्रीन टी लेना भी मुख कैंसर की रोकथाम में सहायक है।
लक्षण
दवा लेने के बावजूद मुंह में अल्सर का ठीक ना होना
मुंह में लाल व सफेद चकत्ते दिखना
लगातार कान में दर्द रहना
निगलने में परेशानी होना
दांत ढीले होना या डेंचर की खराब फिटिंग होना
आवाज बदलना
निचले होठ या ठोड़ी में सुन्नता का एहसास होना
गर्दन में गांठ बनना
उपचार
सर्जरी जरूरी है
रोग किस स्टेज पर है, इसके अनुसार रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की मदद ली जाती है। इस उपचार के दौरान मरीज का चेहरा थोड़ा- सा बिगड़ता है और उसे बोलने व निगलने में समस्या आती है। पर इससे उबरा जा सकता है। आधुनिक प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सजर्री, एनिस्थीसिया और इंनटेसिव केयर से चेहरे को वापस ठीक कर सकते हैं। नई तकनीक लिक्विड बायोप्सी भी चलन में है।
ध्यान दें
’बायोप्सी के कारण कैंसर नहीं फैलता। बायोप्सी की प्रक्रिया के दौरान उस खास हिस्से की सूजन ज्यादा बढ़ जाती है, पर वह कुछ समय के लिए ही होता है। टय़ूमर के प्रकार को जानने, उपचार व सजर्री के लिए यह प्रक्रिया जरूरी है।’
शुरुआती स्तर पर मुख कैंसर की पहचान होने और इसके उपचार की सफलता दर 85 प्रतिशत है।’
तंबाकू और एल्कोहल का सेवन बंद कर देने से ही तुरंत कैंसर का जोखिम जीरो नहीं हो जाता। धूम्रपान करने वाले किसी व्यक्ति को वापस सामान्य स्थिति में आने में समय लग जाता है।’
कम टार या कम निकोटिन वाली सिगरेट भी सुरक्षित नहीं हैं। इसी तरह हर्बल सिगरेट में भी भले ही तंबाकू नहीं होता, पर उनसे भी कार्बन मोनोऑक्साइड और टार मिलता है।’
एक घंटा हुक्का पीना करीब सौ सिगरेट पीने के समान है।